चंद्र ग्रहण 2020 को लेकर आपके मन में कई तरह की जिज्ञासाएँ होंगी। जैसे कि साल 2020 में कब-कब चंद्र ग्रहण घटित होगा या 2020 में कितने चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) लगेंगे। इस लेख में हम आपको वर्ष 2020 में होने वाले सभी चंद्र ग्रहण के बारे में विस्तार से बताएंगे। आप इस लेख में माध्यम से ग्रहण का समय, तारीख और उसका प्रभाव कहाँ रहने वाला ये सभी चीज़ें जान सकेंगे। साथ ही आप इस लेख में चंद्र ग्रहण के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और ग्रहण के प्रभाव बचने उपाय भी जानेंगे।
वर्ष 2020 में चार चंद्र ग्रहण लग रहे हैं। साल का पहला चंद्र वर्ष के पहले ही महीने में लगेगा। महत्वपूर्ण बात ये है कि चारों चंद्र ग्रहण उपच्छाया हैं। इनमें न तो कोई पूर्ण चंद्र ग्रहण है और न ही कोई आंशिक चंद्र ग्रहण है। जब चंद्रमा पृथ्वी की पेनुम्ब्रा से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी कटी प्रतीत होती है। तब इस अवस्था को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 10-11 जनवरी को लगेगा। दूसरा चंद्र ग्रहण 5-6 जून को, तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को जबकि साल का चौथा और अंतिम चंद्र ग्रहण नवंबर की 30 तारीख़ को लगेगा।
पहला चंद्र ग्रहण 2020 | |||
दिनांक | चंद्र ग्रहण प्रारंभ | चंद्र ग्रहण समाप्त | ग्रहण का प्रकार |
10-11 जनवरी | 22:37 बजे से | 02:42 बजे तक | उपच्छाया |
दूसरा चंद्र ग्रहण 2020 | |||
दिनांक | चंद्र ग्रहण प्रारंभ | चंद्र ग्रहण समाप्त | ग्रहण का प्रकार |
5-6 जून | 23:16 बजे से | 02:34 बजे से | उपच्छाया |
तीसरा चंद्र ग्रहण 2020 | |||
दिनांक | चंद्र ग्रहण प्रारंभ | चंद्र ग्रहण समाप्त | ग्रहण का प्रकार |
5 जुलाई | 08:38 बजे से | 11:21 बजे से | उपच्छाया |
चौथा चंद्र ग्रहण 2020 | |||
दिनांक | चंद्र ग्रहण प्रारंभ | चंद्र ग्रहण समाप्त | ग्रहण का प्रकार |
30 नवंबर | 13:04 बजे से | 17:22 बजे से | उपच्छाया |
ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण राहु-केतु के कारण लगता है। हालाँकि खगोल विज्ञान के मुताबिक चंद्र ग्रहण आकाश मंडल की एक खगोलीय घटना है। इस घटना में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीन एक ही रेखा में आ जाते हैं और सूर्य और चंद्रमा के मध्य में पृथ्वी आ जाती है। चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन ही लगता है।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा का महत्वपूर्ण स्थान है। वैदिक ज्योतिष में तो चंद्र राशि के आधार पर किसी व्यक्ति के भाग्य और उसके व्यक्तित्व के अलावा उसके संपूर्ण जीवन का विश्लेषण किया जाता है। यहाँ यह जानना आवश्यक है जब जन्म के समय चंद्रमा जिस भी राशि में होता है वह चंद्र राशि होती है।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन, माता एवं द्रव्य चीज़ों का कारक माना जाता है। विज्ञान भी यह मानता है कि समुद्र में उठने वाली ज्वार भाटा चंद्रमा के प्रभाव के कारण ही आती हैं। चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है और नक्षत्रों में यह रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी है। इसलिए जब चंद्रमा पर ग्रहण लगता है तो चंद्रमा से संबंधित सभी चीज़ें प्रभावित होती हैं। चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की होती है।
खगोल विज्ञान में चंद्रमा को पृथ्वी ग्रह का उपग्रह माना गया है। जिस प्रकार धरती सूर्य के चक्कर लगाती है ठीक उसी प्रकार चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाता है। यहाँ तक कि सूर्य के बाद आसमान पर सबसे चमकीला पिंड चंद्रमा है।
चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण में एक ख़ास अंतर ये है कि जहाँ चंद्रमा की छाया की लघुता के कारण सूर्य ग्रहण किसी भी स्थान से केवल कुछ मिनटों तक ही दिखता है, वहीं चंद्र ग्रहण की अवधि कुछ घंटों की होती है।
इसके अलावा चंद्र ग्रहण को आँखों के लिए बिना किसी विशेष सुरक्षा के देखा जा सकता है, जबकि सूर्य ग्रहण को नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्र ग्रहण की उज्ज्वलता पूर्ण चंद्र से भी कम होती है।
हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में चंद्रमा को देवता माना जाता है और इसलिए हिन्दू उपासक सोमवार के दिन चंद्रमा की पूजा भी करते हैं। हिन्दू आस्था के अनुसार चंद्रमा जल तत्व के देव हैं। पौराणिक शास्त्र में कहा गया है कि चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने सिर पर धारण किया है।
शास्त्रों में भगवान शिव को चंद्रमा का स्वामी माना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति भगवान शिव की आराधना करते हैं उन्हें चंद्र देव का भी आशीर्वाद मिलता है। श्रीमद्भगवत के अनुसार, चंद्र देव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र और बुध के पिता हैं।
इसलिए जब चंद्र ग्रहण लगता है तो हिन्दू धर्म में उस दिन चंद्रमा की उपासना की जाती है, जिससे कि जातकों के ऊपर ग्रहण का बुरा प्रभाव न पड़े। इस दिन लोग चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का भी जाप करते हैं।
ग्रहण लगने से पूर्व सूतक प्रभावी हो जाता है, जो ग्रहण समाप्ति के बाद ही ख़त्म होता है। मान्यता है कि सूतक काल में ऐसे कई कार्य हैं जिनको लेकर मनाही है। यानि उन कार्यों को सूतक के दौरान नहीं किया जाता है। हालाँकि कई ऐसे भी कार्य हैं जिनको सूतक के दौरान करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जाता है।
यदि जिस जगह से ग्रहण को देखा जा सकता है। उस अवस्था में ही सूतक काल प्रभावित होगा, अन्यथा नहीं। दो सूर्योदय की अवधि को आठ प्रहर में बाँटा गया है। ये आठ प्रहर दिन के 24 घंटों के बराबर हैं। ऐसे में क़रीब-क़रीब तीन घंटों का एक प्रहर माना गया है। चंद्र ग्रहण में सूतक काल तीन प्रहर का होता है, यानि यह ग्रहण से नौ घंटे पूर्व ही शुरु हो जाता है।
चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ ऐसे भी कार्य हैं जिनको करने से ग्रहण दोष के प्रभाव शून्य या फिर बेहद कमज़ोर हो जाते हैं। ये कार्य एक प्रकार से उपाय होते हैं जिनकी सहायता से ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। ये कार्य इस प्रकार हैं -
किसी भी महिला के लिए गर्भावस्था का समय बेहद ही संवेदनशील होता है। इसलिए उस महिला को बड़ा ही सावधानी पूर्वक कार्य करना होता है, जिससे कि गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत पर कोई बुरा असर न पड़े।
चूंकि ग्रहण एक प्रकार का दोष है। किसी भी गर्भवती महिला की कोख में पल रहा बच्चा उसका आसान शिकार हो सकता है। इसलिए ग्रहण के समय महिला को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
इसके साथ ही इस दौरान प्रग्नेंट महिलाओं को कढ़ाई, बुनाई, कताई, सिलाई जैसे कार्यों को नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा असर बच्चे के शरीर पर पड़ता है। इसके अलावा उन्हें सब्जी न तो काटनी चाहिए और न ही छीलनी चाहिए।
मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि ग्रहण के समय चाकू और सुई का उपयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों को क्षति पहुँचती है।
“ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्”
चंद्र ग्रहण के दौरान यदि आप इस मंत्र का जाप 108 बार या फिर 1008 बार करते हैं तो आपको इसका लाभ मिलता है और चंद्र ग्रहण का दुष्प्रभाव नष्ट हो जाता है। इसके अलावा चंद्र ग्रहण का बीज और तांत्रिक मंत्र के जाप से जातक चंद्र ग्रहण के दोष से बच सकते हैं। वहीं जो जातक चंद्र ग्रहण के दौरान लगने वाले सूतक के समय चंद्र यंत्र की आराधना करता है तो उसे चंद्र ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हम आशा करते हैं कि चंद्र ग्रहण 2020 पर लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमारी वेबसाइट एस्ट्रोकैंप डॉटकॉम से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!
Get your personalised horoscope based on your sign.