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विद्यारंभ मुहूर्त 2020 | Vidyarambh Muhurat 2020 Dates & Timings

Author: -- | Last Updated: Tue 24 Sep 2019 6:32:21 PM

देखें विद्यारंभ मुहूर्त 2020 और जानें इस किस तारीख़, वार, तिथि और नक्षत्र में करें अपनी संतान का विद्यारंभ संस्कार। साथ ही जानें विद्यारंभ मुहूर्त की समयावधि।

Vidyarambh Muhurat 2020 Dates

विद्यारंभ मुहूर्त 2020

दिनांक वार तिथि नक्षत्र मुहूर्त की समयावधि
15 जनवरी बुध माघ कृ. पंचमी उत्तराफाल्गुनी 07:15-19:59
16 जनवरी गुरु माघ कृ. षष्ठी हस्त 07:15-09:42
20 जनवरी सोम माघ कृ. एकादशी अनुराधा 07:15-19:39
27 जनवरी सोम माघ शु. तृतीया शतभिषा 07:12-19:12
29 जनवरी बुध माघ शु. चतुर्थी उ.भाद्रपद 10:46-19:04
30 जनवरी गुरु माघ शु. पंचमी उ.भाद्रपद 07:11-19:00
31 जनवरी शुक्र माघ शु. षष्ठी रेवती 07:10-15:52
6 फरवरी गुरु माघ शु. द्वादशी आर्द्रा 07:07-18:32
10 फरवरी सोम फाल्गुन कृ. प्रतिपदा मघा 17:06-18:17
13 फरवरी गुरु फाल्गुन कृ. पंचमी हस्त 07:02-20:02
14 फरवरी शुक्र फाल्गुन कृ. षष्ठी स्वाति 07:01-18:21
19 फरवरी बुध फाल्गुन कृ. एकादशी पूर्वाषाढ़ा 06:57-19:58
20 फरवरी गुरु फाल्गुन कृ. द्वादशी पूर्वाषाढ़ा 0656-0719
26 फरवरी बुध फाल्गुन शु. तृतीया उ.भाद्रपद रेवती 06:50-19:31
28 फरवरी शुक्र फाल्गुन शु. पंचमी अश्विनी 06:48-19:23
4 मार्च बुध फाल्गुन शु. नवमी मृगशिरा 14:00-19:03
5 मार्च गुरु फाल्गुन शु. दशमी आर्द्रा 06:42-18:59
6 मार्च शुक्र फाल्गुन शु. एकादशी पुनर्वसु 11:47-18:56
11 मार्च बुध चैत्र कृ. द्वितीया हस्त 06:35-18:36
13 मार्च शुक्र चैत्र कृ. चतुर्थी स्वाति 08:51-13:59
16 अप्रैल गुरु वैशाख कृ. नवमी धनिष्ठा 18:12-20:50
17 अप्रैल शुक्र वैशाख कृ. दशमी उ.भाद्रपद 05:54-07:05
19 अप्रैल रवि वैशाख कृ. द्वादशी पूर्वाभाद्रपद 05:52-19:34
26 अप्रैल रवि वैशाख शु. तृतीया रोहिणी 05:45-13:23
27 अप्रैल सोम वैशाख शु. चतुर्थी मृगशिरा 14:30-20:07
29 अप्रैल बुध वैशाख शु. षष्ठी पुनर्वसु 05:42-15:13
3 मई रवि वैशाख शु. दशमी पूर्वाफाल्गुनी 05:39-19:43
4 मई सोम वैशाख शु. एकादशी उ.फाल्गुनी हस्त 06:13-19:19
11 मई सोम ज्येष्ठा कृ. चतुर्थी पूर्वाषाढ़ा 06:35-19:12
13 मई बुध ज्येष्ठा कृ. षष्ठी श्रावण 05:32-06:00
17 मई रवि ज्येष्ठा कृ. दशमी उ.भाद्रपद 12:43-21:07
18 मई सोम ज्येष्ठा कृ. एकादशी उ.भाद्रपद रेवती 05:29-21:03
24 मई रवि ज्येष्ठ शु. द्वितीया मृगशिरा 05:26-20:39
25 मई सोम ज्येष्ठ शु, तृतीया मृगशिरा 05:26-20:35
27 मई बुध ज्येष्ठ शु, पंचमी पुनर्वसु 05:25-20:28
28 मई गुरु ज्येष्ठ शु, षष्ठी पुष्य 05:25-20:24
31 मई रवि ज्येष्ठ शु, नवमी उत्तराफाल्गुनी 17:37-20:12
1 जून सोम ज्येष्ठ शु, दशमी हस्त 05:24-13:16
3 जून बुध ज्येष्ठ शु, द्वादशी स्वाति 05:23-06:21
7 जून रवि आषाढ़ कृ. द्वितीया मूल 05:23-19:44
8 जून सोम आषाढ़ कृ. तृतीया उत्तराषाढ़ा 05:23-18:21
10 जून बुध आषाढ़ कृ. पचमी श्रावण 05:23-10:34
11 जून गुरु आषाढ़ कृ. षष्ठी धनिष्ठा 11:28-19:29
15 जून सोम आषाढ़ कृ. दशमी रेवती 05:23-16:31
17 जून बुध आषाढ़ कृ. एकादशी अश्विनी 05:23-06:04

विद्या ददाति विनयम् ….संस्कृत का यह चर्चित श्लोक विद्या के बारे में कहता है कि विद्या (ज्ञान) व्यक्ति को विनम्रता प्रदान करती है। बिना विद्या के मनुष्य पशु समान है। इसलिए सनातन परंपरा में मनुष्य के द्वारा विद्या प्राप्ति के लिए एक संस्कार की व्यवस्था की गई है, इस संस्कार को विद्यारंभ संस्कार के नाम से जाना जाता है। यह सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। हिन्दू धर्म में जब बालक लगभग पाँच वर्ष की आयु का हो जाता है तो उसका विद्यारंभ संस्कार किया जाता है, जिसके बाद वह पाठशाला में जाकर ज्ञान प्राप्त करता है। विद्यारंभ संस्कार का सीधा अर्थ है कि बच्चे को शिक्षा के प्रारंभिक स्तर से परिचित कराना। यह संस्कार (विद्यारंभ मुहूर्त 2020) विद्या प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: विद्यारंभ मुहूर्त क्या है?

ऊपर दिए गए विवरण से अपने जाना विद्यारंभ मुहूर्त 2020 के सभी शुभ मुहूर्तों के बारे में। विद्यारंभ संस्कार एक निश्चित शुभ समय में किया जाता है। इसे ही हम विद्यारंभ मुहूर्त कहते हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि वैदिक संस्कृति में किसी भी शुभ कार्य को एक निश्चित मुहूर्त में किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शास्त्रों में लिखा है कि किसी भी अच्छे कार्य को यदि शुभ मुहूर्त में किया जाए तो वह निश्चित ही फलीभूत होता है। जिस उद्देश्य के निमित्त वह कार्य किया जाता है वह उद्देश्य पूरा होता है। चूंकि विद्यारंभ संस्कार एक महत्वपूर्ण और शुभ कार्य है इसलिए इसे भी शुभ मूहूर्त में करने का विधान है।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: विद्यारंभ मुहूर्त की आवश्यकता क्यों है?

विद्यारंभ मुहूर्त 2020 के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं विद्यारंभ मुहूर्त की आवश्यकता के बारे में। अक्सर यह देखा गया है कि यदि किसी कार्य को सही समय में या फिर बिना मुहूर्त का विचार किए बिना किया जाता है तो उस कार्य में व्यक्ति को कई तरह की बाधाएँ आती हैं। यहाँ तक कि कई कार्य असफल सिद्ध हो जाते हैं और व्यक्ति को महज़ हाथ लगती है तो निराशा और मायूसी। इसलिए शास्त्रों में शुभ कार्य के लिए हमेशा मुहूर्त का विचार किया जाता है। विद्यारंभ मुहूर्त की उपयोगिता पर दृष्टि डालें तो विद्या से ही एक बालक के भविष्य का निर्माण होता है। यदि अज्ञानता के चलते भविष्य की नींव कच्ची रही तो उस बालक के जीवन में कई प्रकार की चुनौतियाँ आएंगी।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020 की गणना

विद्यारंभ मुहूर्त के लिए पंचांग के अलावा जिस बच्चे का यह संस्कार होना है उसकी जन्म कुंडली का विचार किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, वर्ष में पड़ने वाले मास की कुछ तिथियाँ, नक्षत्र विद्यारंभ मुहूर्त के लिए उत्तम होती हैं। जैसे -

  • नक्षत्रों में अश्विनी, मृगशिरा, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, मूल, रेवती, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, चित्रा, स्वाति, अभिजीत, धनिष्ठा, श्रवण, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और शतभिषा नक्षत्र विद्यारंभ मुहूर्त के लिए बहुत ही शुभ नक्षत्र हैं।
  • सात वारों में रविवार, सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार विद्यारंभ मुहूर्त के लिए उत्तम हैं।
  • तिथियों में विशेष रूप से चैत्र-वैशाख की शुक्ल तृतीया, माघ शुक्ल सप्तमी एवं फाल्गुन शुक्ल की तृतीया को विद्यारंभ संस्कार करना चाहिए।
  • राशियों में वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, और धनु लग्न विद्यारंभ संस्कार के लिए उत्तम हैं।

विद्यारंभ महूर्त 2020 को लेकर बरती जाने वाली सावधानियाँ

विद्यारंभ मुहूर्त 2020 को लेकर तिथियों, राशियों और वारों के चुनाव में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। चतुर्दशी, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी तिथि तथा सूर्य संक्रांति के दिन विद्यारंभ संस्कार नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही पौष, माघ, फाल्गुन मे आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भी यह संस्कार नहीं किया जाता है। साथ ही चंद्र दोष और तारा दोष के समय विद्यारंभ संस्कार को नहीं किया जाता है।

विद्यारंभ महूर्त 2020: विद्यारंभ संस्कार का महत्व

विद्यारंभ मुहूर्त 2020 के माध्यम से हम आपको इस संस्कार का महत्व बताते हैं। जिस प्रकार अज्ञानता व्यक्ति को अंधकार की ओर ले जाती है उसी प्रकार ज्ञान व्यक्ति प्रकाश की ओर ले जाती है। ज्ञान से ही व्यक्ति महान बनता है और ज्ञान आता है विद्या प्राप्ति से। इसलिए हिन्दू धर्म में विद्यारंभ संस्कार बेहद महत्वपूर्ण व्यवस्था है। विद्यारंभ संस्कार धार्मिक, आध्यात्मिक और सांसारिक ज्ञान को प्राप्त करने का प्रथम चरण है। यह संस्कार बालक के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करने के उद्देश्य से किया जाता है। जिससे की वह बड़ा होकर अपने माता-पिता, समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का पालन ईमानदारी से कर सके।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: विद्यारंभ संस्कार कब होता है?

आमतौर पर यह संस्कार बाल्यावस्था में होता है। जब बालक लगभग पाँच वर्ष की आयु का हो जाता है तो इस दौरान उसका विद्यारंभ संस्कार किया जाता है। हालाँकि महत्वपूर्ण बात ये है कि आजकल के बच्चों का मानसिक विकास जल्दी ही हो जाता है। इसलिए वे पाँच वर्ष की कम आयु से ही स्कूल जाने लगे हैं। अतः उनका विद्यारंभ संस्कार 3 से 4 वर्ष की आयु में किया जा सकता है। विद्यारंभ मुहूर्त 2020 के द्वारा आप सही तिथि चुन सकते हैं

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: संस्कार विधि

विद्यारंभ मुहूर्त 2020 के माध्यम से अब जानते हैं इस संस्कार की सही विधि के बारे में

  • विद्यारंभ संस्कार में सबसे पहले मंत्र सहित गणेश वंदना की जाती है।
  • इसके बाद मंत्र सहित माँ सरस्वती की पूजा होती है।
  • इसके बाद गुरु पूजन होता है। यदि गुरु उपस्थित न हो तो उसके लिए नारियल को प्रतीक चिह्न मानकर उसकी पूजा की जाती है।
  • इसके बाद शिक्षा ग्रहण में उपयोग होने वाली वस्तुओं (कॉपी, किताब, पेन, पेंसिल) को पूजा जाता है।
  • इन उपकरणों को वेद मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाता है जिससे उसका प्रारंभिक प्रभाव मंगलकारी हो।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: संस्कार के दौरान होने वाली पूजा

गणेश पूजा - हिन्दू धर्म में सबसे पहले गणेश पूजा होती है। इसलिए विद्यारंभ संस्कार में भी गणेश जी को पूजा जाता है। वहीं भगवान गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। अतः उनकी पूजा से बच्चे की बुद्धि तीक्ष्ण होती है और वह पढ़ाई में अच्छा विद्यार्थी बनता है।

सरस्वती पूजा - माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं। इसलिए विद्या प्राप्ति के लिए उन्हें पूजा जाता है।

लेखनी पूजा - यहाँ लेखनी से तात्पर्य पेन और पेंसिल से है। क्योंकि इसके बिना बच्चा लिखना नहीं सीख सकता है।

पट्टी पूजा - यहाँ पट्टी से तात्पर्य कॉपी से है। क्योंकि इसमें ही बच्चा लिखता है।

गुरु पूजा - गुरु बिन ज्ञान कहाँ, यह कहावत आपने अक्सर सुनी होगी। इसलिए विद्यारंभ संस्कार में गुरुजन की भी आराधना होती है।

विद्यारंभ संस्कार में पूजा के दौरान गुरु बच्चे से कापी या पट्टी पर पहला अक्षर व गायत्री मंत्र लिखवाते हैं। जब बच्चा पहला अक्षर लिखता है, तो गुरु को पूर्वी दिशा में बैठना चाहिए और बच्चे को पश्चिम में बैठना चाहिए।

हमें आशा है कि विद्यारंभ मुहूर्त 2020 से संबंधित यहां दी गई जानकारी आपके लिए कारगर साबित होगी।

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