Author: AstroGuru Mrugank | Last Updated: Sun 1 Sep 2024 1:21:27 PM
एस्ट्रोकैंप के इस मुहूर्त लेख के ज़रिए हम आपको साल 2025 की शुभ तिथियों एवं शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। इसके अलावा, हम आपको शास्त्रों में मुहूर्त के महत्व और हिंदू धर्म में 2025 मुहूर्त की गणना करने के तरीके एवं शुभ-अशुभ मुहूर्त के बारे में भी बताएंगे। किसी भी नए या मांगलिक कार्य को आरंभ करने के लिए शुभ मुहूर्त को बेहद ज़रूरी माना जाता है।
Read here in English: 2025 Muhurat
2025 मुहूर्त के अंतर्गत मुहूर्त शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है जिसका अर्थ होता है 'समय'। वैदिक ज्योतिष में यह एक विशेष समय होता है जिसे महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है।
विवाह और गृह प्रवेश या नए व्यापार की शुरुआत के लिए सही मुहूर्त देखना आवश्यक होता है। यदि कोई मांगलिक या नया काम शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो उसके सफल होने की संभावना बढ़ जाती है और उसमें बाधाएं एवं अड़चनें आने की आशंका कम रहती है।
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ज्योतिषीय भाषा में शुभ और अशुभ समय को मुहूर्त के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई भी काम शुभ मुहूर्त में किया जाता है, तो उसके सफल होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। यदि आप 2025 मुहूर्त में सही या शुभ मुहूर्त देखने के बाद अपने किसी काम की शुरुआत करते हैं, तो आपको उसमें अधिक सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। यही वजह है कि कोई भी कार्य शुरू करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है।
जिस प्रकार हम अलग-अलग बीमारियों के लिए भिन्न दवाएं लेते हैं, उसी प्रकार ज्योतिष में अलग-अलग कार्यों के लिए विभिन्न शुभ मुहूर्त मौजूद हैं। प्राचीन वैदिक समय में यज्ञ करने से पहले मुहूर्त निकाला जाता था लेकिन इनकी उपयोगिता और सकारात्मक पहलुओं को देखकर दैनिक कार्यों में भी इनकी मांग बढ़ गई थी।
जिन लोगों की जन्म कुंडली नहीं है या जो किसी दोष से पीड़ित हैं, उनके लिए मुहूर्त बहुत उपयोगी एवं लाभकारी सिद्ध होता है। ऐसा देखा गया है कि शुभ मुहूर्त में कार्य करने से लोगों को उसमें सफलता जरूर प्राप्त हुई है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दिन और रात के बीच में 30 मुहूर्त होते हैं और शुभ मुहूर्त निकालने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, नौ ग्रहों की स्थिति, मलमास, अधिक मास, शुक्र और गुरु अस्त, अशुभ योग, भद्रा, शुभ लग्न, शुभ योग तथा राहुकाल का ध्यान रखा जाता है। इन्हीं योगों को ध्यान में रखकर शुभ योग की गणना की जाती है।
हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त निकालने के लिए पंचांग की गणना करना, ग्रहों की चाल और स्थिति का आंकलन करना, सूर्योंदय एवं सूर्यास्त का समय देखना और शुभ नक्षत्र देखना शामिल होता है। हालांकि, भिन्न समारोह या कार्यों के लिए अलग-अलग मुहूर्त होते हैं।
मुहूर्त निकालते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लग्न और चंद्रमा एक साथ उपस्थित न हों और पाप कर्तरी दोष भी न बन रहा हो। इसके अलावा चंद्रमा के द्वितीया भाव में लग्न उपस्थित नहीं होना चाहिए और चंद्रमा के बारहवें भाव में किसी पापी या अशुभ ग्रह की उपस्थिति नहीं होनी चाहिए।
कहते हैं कि विवाह से मनुष्य की जिंदगी की एक नई शुरुआत होती है और अगर शुभ मुहूर्त में विवाह संस्कार किया जाए, तो इस नए जीवन में सुख-शांति और खुशियों के आने की संभावना बढ़ जाती है। हिंदू संस्कृति में मुहूर्त को अत्यधिक महत्व दिया गया है। यह व्यक्ति को अपने पूर्वजों और उनके द्वारा निर्मित किए गए ज्ञान से जोड़कर रखता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार किसी निश्चित समय पर आकाशीय पिंडों की स्थिति किसी कार्य के परिणाम पर सकारात्मक या नकारात्मक असर डाल सकती है। यदि यह कार्य शुभ समय या मुहूर्त में किए जाएं, तो उस काम के सफल होने के आसार अधिक रहते हैं।
वेदों के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की अनुकूल स्थिति के आधार पर शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। हर एक क्षण ग्रहों की स्थिति बदलती रहती है और ये शुभ योग का निर्माण करते हैं। इनका विश्लेषण कर के शुभ मुहूर्त चुनने का अर्थ है कि आप उस समय को चुन रहे हैं, जिस समय ग्रह-नक्षत्रों एवं उनकी ऊर्जाओं से सबसे ज्यादा सकारात्मक प्रभाव एवं परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
ग्रहों की सभी स्थितियां सकारात्मक नहीं होती हैं बल्कि उनके कुछ संयोजन एवं स्थितियां प्रतिकूल प्रभाव भी दे सकती हैं। यदि इन अशुभ स्थितियों या संयोजन के दौरान कोई शुभ कार्य किया जाए, तो उसमें बाधाएं आने की आशंका रहती है। मुहूर्त का चयन करने से इनका नकारात्मक प्रभाव कम या शून्य हो सकता है।
वैदिक ज्योतिष में मुहूर्त का महत्व बहुत ज्यादा है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य जरूर सफल होते हैं, वहीं अगर कोई काम अशुभ मुहूर्त में किया जाए तो उसमें अड़चनें एवं समस्याएं आने का खतरा रहता है।
वैदिक ज्योतिष में कई प्रकार के मुहूर्त का उल्लेख किया गया है जिसमें से अभिजीत मुहूर्त को सबसे ज्यादा शुभ और मंगलकारी बताया गया है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में शुभ या नए कार्य करने से उनके सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
इसके अलावा मुहूर्त में चौघड़िया मुहूर्त का भी विशेष महत्व है। जब कोई शुभ मुहूर्त न मिल रहा हो, तो चौघड़िया मुहूर्त में मांगलिक कार्य को संपन्न किया जा सकता है। वहीं अगर आपको कोई कार्य शीघ्र करना है और शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है या आप शुभ मुहूर्त के आने तक का इंतज़ार नहीं कर सकते हैं, तो आप होरा चक्र में अपने कार्य को संपन्न कर सकते हैं।
बच्चे के मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश और विवाह संस्कार आदि के लिए लग्न तालिका देखी जाती है। कहने का मतलब है कि इन संस्कारों के मुहूर्त के लिए शुभ लग्न देखा जाता है। यदि कोई कार्य गौरी शंकर पंचांग में किया जाए, तो उससे मिलने वाले परिणामों की शुभता अत्यधिक बढ़ जाती है।
अगर आप किसी ऐसे मुहूर्त या योग में अपने कार्य को संपन्न करना चाहते हैं, जो सबसे ज्यादा शुभ हो, तो आप गुरु पुष्य योग को चुन सकते हैं। जब आपके कार्य को संपन्न करने के लिए पूरे साल में कोई मुहूर्त न मिले, तो आप गुरु पुष्य योग में अपने कार्य की शुरुआत कर सकते हैं।
इसके अलावा रवि पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग को भी शुभ एवं मांगलिक कार्य करने के लिए उत्तम माना गया है।
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यदि आप साल 2025 में कोई शुभ या मांगलिक कार्य संपन्न करना चाहते हैं, तो इस वर्ष में आपको कई शुभ मुहूर्त मिल जाएंगे। आगे जानिए कि वर्ष 2025 में नामकरण संस्कार, मुंडन संस्कार, उपनयन, अन्नप्राशन, गृह प्रवेश और जनेऊ संस्कार के लिए कौन-सी तिथियां एवं समय शुभ रहेगा।
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साल 2025 में आप किन तिथियों एवं मुहूर्त में नए घर में प्रवेश कर सकते हैं, इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए यहां क्लिक करें: 2025 गृह प्रवेश मुहूर्त
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साल 2025 में विवाह के लिए शुभ तिथियों एवं मुहूर्त के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें: 2025 विवाह मुहूर्त
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साल 2025 में उपनयन संस्कार के लिए शुभ तिथियों व मुहूर्त के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें: 2025 उपनयन मुहूर्त
वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक दिन में 30 शुभ एवं अशुभ मुहूर्त होते हैं। दिन का सबसे पहला मुहूर्त रुद्र होता है जो कि सुबह 6 बजे से आरंभ होता है। इस मुहूर्त के 48 मिनट बाद अलग-अलग मुहूर्त आते हैं जिनमें से कोई शुभ तो कोई अशुभ होता है। आगे शुभ एवं अशुभ मुहूर्तों के नाम बताए गए हैं।
शुभ मुहूर्त: मित्र, वसु, वाराह, विश्वेदेवा, विधि, (सोमवार तथा शुक्रवार को छोड़कर), सतमुखी और वरुण, अहिर-बुध्न्य, पुष्य, अश्विनी, अग्नि, विधातृ, कण्ड, अदति, अति शुभ, विष्णु, द्युमद्गद्युति, ब्रह्म और समुद्रम।
अशुभ मुहूर्त: रुद्र, आहि, पुरुहूत, पितृ, वाहिनी, नक्तनकरा, भग, गिरीश, अजपाद, उरग और यम।
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शुभ मुहूर्त की जानकारी प्राप्त करने के लिए जन्म कुंडली अहम भूमिका निभाती है। यदि आप शुभ मुहूर्त में कोई काम करें, तो उसमें आपके सफल होने के आसार अधिक रहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली में अशुभ दोषों के प्रभाव से बचने के लिए जातक की कुंडली में शुभ दशा और गोचर के आधार पर शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए।
कार्य में सफलता पाने के लिए मुहूर्त में कुछ विशेष सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, जैसे कि:
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी लेख के लिए बने रहिए एस्ट्रोकैंप के साथ। धन्यवाद !
1. मुहूर्त कितने प्रकार के होते हैं?
एक दिन यानी कि 24 घंटे में कुल 30 मुहूर्त होते हैं, 15 दिन में और 15 रात में।
2. मुहूर्त 2025 का महत्व क्या है?
मान्यताओं के अनुसार, शुभ मुहूर्त में किये गए मांगलिक कार्य अधिकतर सफल होते हैं और शुभ परिणाम देते हैं।
3. मुहूर्त के समय कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए?
अमावस्या के दिन शुभ एवं मांगलिक कार्यों को करना अशुभ माना जाता है।
4. अशुभ मुहूर्त कौन-कौन से हैं?
रुद्र, आहि, पुरुहूत, पितृ, वाहिनी, नक्तनकरा आदि को अशुभ मुहूर्त कहा जाता है।