Author: Vijay Pathak | Last Updated: Tue 14 Dec 2021 2:21:52 PM
चंद्र ग्रहण 2022 (Chandra Grahan 2022) का हमारा यह लेख आपको, साल 2022 में पड़ने वाले सभी चंद्र ग्रहण की विस्तृत जानकारी देगा। चंद्र ग्रहणों का समय, तिथि, ग्रहण का प्रभाव, ग्रहण की धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताएँ आदि जैसी हर छोटी-बड़ी जानकारी पाने के लिए अभी पढ़ें हमारा यह लेख।
चंद्र ग्रहण 2022 उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में चंद्रमा आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीधी रेखा में स्थित हों। चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही घटित होता है। चंद्र ग्रहण की अवधि हमेशा सूर्य ग्रहण के मुकाबले लंबी होती है।
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चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक व ज्योतिषीय महत्व भी होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण को पृथ्वी के सभी जीव-जंतुओं के लिए नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाली अवधि माना गया है। इस खगोलीय घटना के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है और लोग इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए ज्योतिषीय उपाय करते हैं।
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है। आईये जानते हैं चंद्र ग्रहण के प्रकार के बारे में विस्तार से :-
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हिन्दू धर्म में हर विशेष कार्य का कोई न कोई पौराणिक महत्व होता है। ग्रंथों के बताया गया है कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का संबंध राहु-केतु से होता है। एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार स्वरभानु नाम का एक दैत्य था। स्वरभानु ने क्षीर सागर मंथन के बाद छल करते हुए देवताओं की कतार में लग मोहिनी रूपी भगवान श्री कृष्ण से कुछ बूंदें अमृतपान कर ली। सूर्य देव और चंद्र देव ने उसे पहचान उसका भेद विष्णु जी को बता दिया। भेद जानने के बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया। हालांकि असुर स्वरभानु ने अमृत की कुछ बूँदें पी ली थी, इसलिए उसका सिर और धड़ हमेशा के लिए अमर हो गया, उस समय से उसका सिर ”राहु” कहलाता है, तो उसका धड़ “केतु” कहलाने लगा। अपनी उसी शत्रुता के चलते आज तक हर साल राहु-केतु सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाने आते हैं।
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सनातन धर्म के अनुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल एक ऐसी अवधि है जिसमें किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य को करना वर्जित माना जाता है, इसलिए इस समय काल का ग्रहण में विशेष ध्यान रखा जाता है। चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से लगभग 9 घंटे पहले शुरू होकर, ग्रहण के खत्म होने के साथ निष्क्रिय होता है। उपछाया ग्रहण में सूतक काल के नियम प्रभावी नहीं होते, लेकिन कुछ मामलों में सूतक काल के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
तो आईये अब आपको बताते हैं कि साल 2022 में कुल कितने चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं।
चंद्र ग्रहण हर साल घटित होने वाली एक खगोलीय घटना है, जिनकी संख्या में हर वर्ष बदलाव देखे जा सकते हैं। साल 2022 में कुल 2 चंद्र ग्रहण घटित होंगे और ये दोनों चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, हालांकि चंद्र ग्रहण 2022 में लगने वाले दोनों ग्रहण में से एक ग्रहण का सूतक भारत में मान्य होगा, तो वहीँ दूसरे ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा।
चलिए अब विस्तार से जानते हैं चंद्र ग्रहण का समय, दृश्यता व उससे संबंधित अन्य ज़रूरी बातों के बारे में।
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पहला चंद्र ग्रहण - 16 मई 2022पहला चंद्र ग्रहण 2022 | ||||
दिनांक | चंद्र ग्रहण प्रारंभ | चंद्र ग्रहण समाप्त | ग्रहण का प्रकार | दृश्य क्षेत्र |
16 मई | 08:59:03 बजे से | 10:23:55 बजे तक | पूर्ण | दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप , दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश भाग, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक और अंटार्टिका |
सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। हालांकि भारत में दृश्य न होने के कारण इस चंद्र ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा।
चंद्र ग्रहण 2022 के अंतर्गत वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो साल के मध्य में 16 मई 2021 को लगेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण का समय सोमवार, 16 मई 2021 को प्रातः 08:59 बजे से, प्रातः 10:23 बजे तक होगा। इस चंद्र ग्रहण का दृश्य क्षेत्र दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश भाग, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक और अंटार्टिका होगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण दृश्य नहीं होगा, जिस कारण भारत में इसका सूतक नहीं लगेगा।
दूसरा चंद्र ग्रहण - 8 नवंबर 2022
दूसरा चंद्र ग्रहण 2022 | ||||
दिनांक | चंद्र ग्रहण प्रारंभ | चंद्र ग्रहण समाप्त | ग्रहण का प्रकार | दृश्य क्षेत्र |
8 नवंबर | 17:28 बजे से | 19:26 बजे तक | आंशिक | उत्तरी-पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भाग, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्टिका |
सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। इस कारण ये चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस चंद्र ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक भी मान्य होगा।
साल 2022 का दूसरा चंद्र ग्रहण मंगलवार, 8 नवंबर 2022 को पड़ेगा, जो एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण का समय शाम 17:28 बजे से 19:26 बजे तक होगा। इसकी दृश्यता उत्तरी-पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भाग, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्टिका में होगी। भारत में यह चंद्र ग्रहण आंशिक ग्रहण के रूप में दिखाई देगा, इसलिए यहाँ इसका सूतक प्रभावी होगा।
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चंद्र ग्रहण के समय उसके सूतक काल के समाप्त होने तक किसी भी प्रकार के नए काम की शुरुआत करना वर्जित माना जाता है। इस दौरान लड़ाई-झड़गे, वाद-विवाद करने से बचें। चंद्र ग्रहण में किसी भी धारदार वस्तु का उपयोग न करें। सूतक काल के समय सोना भी वर्जित होता है, साथ ही देवी-देवताओं की प्रतिमा और तुलसी के पौधे को स्पर्श करने की भी मनाही होती है। माना जाता है कि चंद्र ग्रहण के सूतक के दौरान भोजन बनाने और खाने से परहेज करना चाहिए।
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चंद्र ग्रहण 2022 समाप्त होने के फ़ौरन बाद स्नान कर घर में गंगाजल का छिड़काव कर उसका शुद्धिकरण करना चाहिए। भगवान की मूर्तियों को भी स्नान कर शुद्ध करें। चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद किसी ज़रूरतमंद को आटा, चावल, चीनी, श्वेत वस्त्र, साबुत उड़द की दाल, सतनज, काला तिल, काले वस्त्र आदि दान करें।
सूतक काल के पहले जो भोजन बना हो उसमें तुलसी के पत्ते डालकर उसे शुद्ध करें। ग्रहण के सूतक काल से समाप्ति तक ब्रह्मचर्य का पालन करें। ग्रहण वाले दिन सूतक काल की समाप्ति तक गर्भवती स्त्रियों को ज़्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें घर के अंदर ही रहना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दुष्प्रभावों से होने वाले बच्चे को क्षति पहुँच सकती है।
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढैय्या का प्रभाव हो उसे ग्रहण के दौरान सूतक काल की समाप्ति तक शनि मंत्र का जाप करना व श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ फलदायक होता है। वहीँ जो जातक मांगलिक दोष से पीड़ित होते हैं, उन्हें खासतौर से ग्रहण के दिन सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के दौरान नवग्रह, गायत्री एवं महामृत्युंजय आदि जैसे शुभ मंत्रों का और दुर्गा चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमद्भागवत गीता, गजेंद्र मोक्ष आदि का पाठ करना उचित रहता है।
चंद्र ग्रहण दौरान चंद्र ग्रह से संबंधित मंत्रों और राहु-केतु की शांति के लिए उनके बीज मंत्र का उच्चारण करें।
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥
श्लोक अर्थ - अन्धकाररूप महाभीम चन्द्र-सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्णतारा दान से मुझे शान्ति प्रदान करें।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
श्लोक अर्थ - सिंहिकानन्दन (पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहणजनित भय से मेरी रक्षा करो।
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हम आशा करते हैं कि चंद्र ग्रहण 2022 पर लिखा गया यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोकैंप से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद !