Author: --- | Last Updated: Fri 29 Dec 2017 11:30:43 AM
भारतीय जनजीवन में ग्रहण हमेशा से आस्था और जिज्ञासा का एक विषय रहा है। वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्म में ग्रहण को लेकर कई पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं हैं। हालांकि विज्ञान के नजरिये से ग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना है। पृथ्वी पर हर साल सूर्य और चंद्र ग्रहण घटित होते हैं। वर्ष 2018 में कुल 5 ग्रहण दिखाई देंगे। इनमें 3 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण शामिल हैं। यदि हम सूर्य ग्रहण 2018 की बात करें तो इस वर्ष होने वाले तीनों सूर्य ग्रहण आंशिक होंगे और भारत में इनकी दृश्यता शून्य रहेगी इसलिए यहाँ ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा। इस वर्ष होने वाले तीनों सूर्य ग्रहण की समय-सारिणी कुछ प्रकार है...
दिनांक | समय | दृश्यता |
16 फरवरी 2018 | 00:25:51 से 04:17:08 बजे तक | साउथ अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, अंटार्कटिका |
13 जुलाई 2018 | 07:18:23 से 09:43:44 बजे तक | दक्षिण ऑस्ट्रेलिया, पेसिफिक, हिन्द महासागर |
11 अगस्त 2018 | 13:32:08 से 17:00:40 बजे तक | नॉर्थ/ईस्ट यूरोप, नॉर्थ/वेस्ट एशिया, नॉर्थ उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक, आर्कटिक |
नोट- उपरोक्त समय भारतीय समयानुसार दिया गया है। ये तीनों सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे, इसलिए यहां पर इनका सूतक मान्य नहीं होगा।
सूर्य ग्रहण का आपकी राशि पर क्या होगा असर? जानने के लिए पढ़ें: सूर्य ग्रहण 2018
वहीं चंद्र ग्रहण 2018 पर नज़र डालें तो इस वर्ष होने वाले दोनों चंद्र ग्रहण पूर्ण होंगे। भारत सहित विश्व के अन्य देशों में ये दोनों चंद्र दिखाई देंगे, इसलिए यहाँ पर ग्रहण का धार्मिक सूतक भी मान्य होगा। चंद्र ग्रहण 2018 का समय विवरण कुछ इस प्रकार है…
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आपके लिए कैसा रहेगा साल 2018,पढ़ें: राशिफल 2018
दिनांक | समय | दृश्यता |
31 जनवरी 2018 | 17:57:56 से 20:41:10 बजे तक | भारत, उत्तर पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर पश्चमी अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, उत्तर पश्चमी साउध अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, हिन्द महासागर, आर्कटिक, अंटार्कटिका |
27-28 जुलाई 2018 | 23:56:26 से 03:48:59 बजे तक | भारत, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी हिस्से, साउथ अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका |
नोट- उपरोक्त समय भारतीय समयानुसार दिया गया है। ये दोनों चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देंगे।
चंद्र ग्रहण का आपकी राशि पर क्या होगा असर? जानने के लिए पढ़ें: चंद्र ग्रहण 2018
ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय चाकू और सुई का उपयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों को क्षति पहुंच सकती है।
क्या केतु की चाल 2018 में आपको करेगी परेशान?, जरूर पढ़ें: केतु गोचर 2018
विज्ञान के अनुसार ग्रहण एक खगोलीय घटना है इसलिए खगोल शास्त्र के लिए ग्रहण रोचक और महत्वपूर्ण विषय होता है। खगोल विज्ञान के अनुसार, जब एक खगोलीय पिंड पर दूसरे खगोलीय पिंड की छाया पड़ती है तो उस घटना को ग्रहण कहा जाता है। जैसे- चंद्रमा जब सूर्य एवं पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो चंद्रमा, सूर्य पर अपनी छाया बनाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह अमावस्या के दिन होता है। इसी प्रकार चंद्र ग्रहण में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के मध्य आ जाती है। इस अवस्था में चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा केवल अमावस्या के दिन ही संभव है।
ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत को दानवों ने देवताओं से छीन लिया। इस दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण करके दानवों से अमृत ले लिया और उसे देवताओं में बांटने लगे, लेकिन भगवान विष्णु की इस चाल को राहु नामक असुर समझ गया और वह देवताओं के बीच बैठ गया। जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, उसी समय सूर्य और चंद्रमा ने उसके षडयंत्र को उजागर कर दिया। उसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन च्रक से राहु की गर्दन को उसके धड़ से अलग कर दिया। अमृत के प्रभाव से उसकी मृत्यु नहीं हुई इसलिए उसका सिर व धड़ राहु और केतु छायाग्रह के नाम से सौर मंडल में स्थापित हो गए। माना जाता है कि राहु और केतु इस बैर के कारण से सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण के रूप में श्रापित करते हैं।
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