Author: AstroGuru Mrugank | Last Updated: Tue 24 Sep 2024 2:34:41 PM
एस्ट्रोकैंप के इस लेख “2025 जैन कैलेंडर” में आपको वर्ष 2025 में मनाये जाने वाले जैन धर्म के प्रमुख व्रत व त्योहारों की विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। 2025 जैन कैलेंडर में जैन धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले प्रत्येक त्योहार, व्रत और पर्व की तिथियों के बारे में बताया गया है। साथ ही, इसमें न सिर्फ आपको जैन धर्म के पर्वों की जानकारी मिलेगी बल्कि साल 2025 में पड़ने वाले जैन अवकाशों की भी संपूर्ण सूची मिल जाएगी। इस कैलेंडर की सहायता से इस धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को अपने त्योहारों की अच्छे से तैयारी करने का अवसर भी प्राप्त होगा।
Read in English: 2025 Jain Calendar
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
02 जनवरी 2025, बुधवार |
यतीन्द्र सुरेश्वर दिवस |
02 जनवरी 2025, बुधवार |
त्रिस्तुति |
06 जनवरी 2025, सोमवार |
श्री राजेंद्र सूरीश्वर दिवस |
11 जनवरी 2025, शनिवार |
रोहिणी व्रत |
26 जनवरी 2025, रविवार |
शीतलनाथ जन्म तप |
27 जनवरी 2025, सोमवार |
मेरु त्रयोदशी |
27 जनवरी 2025, सोमवार |
आदिनाथ निर्वाण कल्याणक |
28 जनवरी 2025, मंगलवार |
ऋषभदेव मोक्ष |
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
02 फरवरी 2025, रविवार |
दशलक्षण (3/3) प्रारम्भ |
07 फरवरी 2025, शुक्रवार |
रोहिणी व्रत |
04 फरवरी 2025, मंगलवार |
मर्यादा महोत्सव |
11 फरवरी 2025, मंगलवार |
श्री जीतेन्द्र रथ यात्रा |
11 फरवरी 2025, मंगलवार |
दशलक्षण (3/3) समाप्त |
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
06 मार्च 2025, गुरुवार |
रोहिणी व्रत |
07 मार्च 2025, शुक्रवार |
अष्टान्हिका (3/3) प्रारम्भ |
14 मार्च 2025, शुक्रवार |
अष्टान्हिका (3/3) समाप्त |
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तिथि |
त्योहार व अवकाश |
02 अप्रैल 2025, बुधवार |
दशलक्षण (1/3) प्रारम्भ |
03 अप्रैल 2025, गुरुवार |
रोहिणी व्रत |
04 अप्रैल 2025, शुक्रवार |
आयंबिल ओली प्रारंभ |
10 अप्रैल 2025, गुरुवार |
महावीर जयंती |
11 अप्रैल 2025, शुक्रवार |
दशलक्षण (1/3) समाप्त |
12 अप्रैल 2025, शनिवार |
आयंबिल ओली अंत |
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
07 मई 2025, बुधवार |
श्री महावीर स्वामी कैवल्य ज्ञान दिवस |
13 मई 2025, मंगलवार |
ज्येष्ठ जिनवार व्रत प्रारंभ |
24 मई 2025, शनिवार |
श्री अनंतनाथ जन्म तप |
27 मई 2025, मंगलवार |
रोहिणी व्रत |
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
11 जून 2025, बुधवार |
ज्येष्ठ जिनवर व्रत समापन |
24 जून 2025, मंगलवार |
रोहिणी व्रत |
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तिथि |
त्योहार व अवकाश |
03 जुलाई 2025, गुरुवार |
अष्टान्हिका (1/3) प्रारम्भ |
09 जुलाई 2025, बुधवार |
चौमासी चौदस |
10 जुलाई 2025, गुरुवार |
अष्टान्हिका (1/3) समाप्त |
21 जुलाई 2025, सोमवार |
रोहिणी व्रत |
31 जुलाई 2025, गुरुवार |
पार्श्वनाथ मोक्ष |
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
17अगस्त 2025, रविवार |
रोहिणी व्रत |
24 अगस्त 2025, रविवार |
कल्पसूत्र पाठ |
24 अगस्त 2025, रविवार |
संवत्सरी |
25 अगस्त 2025, सोमवार |
तैलधर तप |
28 अगस्त 2025, गुरुवार |
क्षमावाणी पर्व |
28 अगस्त 2025, गुरुवार |
दशलक्षण (2/3) प्रारम्भ |
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
06 सितंबर 2025, शनिवार |
दशलक्षण (2/3) समाप्त |
14 सितंबर 2025, रविवार |
रोहिणी व्रत |
28 सितंबर 2025, शनिवार |
आयंबिल ओली प्रारंभ |
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तिथि |
त्योहार व अवकाश |
07 अक्टूबर 2025, मंगलवार |
आयंबिल ओली अंत |
11 अक्टूबर 2025, शनिवार |
रोहिणी व्रत |
19 अक्टूबर 2025, रविवार |
श्री पद्म प्रभु जन्म तप |
21 अक्टूबर 2025, मंगलवार |
महावीर निर्वाण |
26 अक्टूबर 2025, रविवार |
ज्ञान पंचमी/सौभाग्य पंचमी |
29 अक्टूबर 2025, बुधवार |
अष्टान्हिका (2/3) प्रारम्भ |
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
05 नवंबर 2025, बुधवार |
अष्टान्हिका (2/3) समाप्त |
07 नवंबर 2025, शुक्रवार |
रोहिणी व्रत |
14 नवंबर 2025, शुक्रवार |
महावीर स्वामी दीक्षा |
तिथि |
त्योहार व अवकाश |
01 दिसंबर 2025, सोमवार |
मौनी एकादशी |
05 दिसंबर 2025, शुक्रवार |
रोहिणी व्रत |
15 दिसंबर 2025, सोमवार |
पार्श्वनाथ जयंती |
जैसे कि हम आपको पहले भी ऊपर बता चुके हैं कि 2025 जैन कैलेंडर को मुख्य रूप से जैन धर्म के लोगों के लिए बनाया गया है इसलिए इस कैलेंडर को बनाते समय कई महत्वपूर्ण तथ्यों और गणनाओं को ध्यान में रखा गया है। प्रत्येक कैलेंडर में कुछ न कुछ भिन्नता देखने को मिलती है और इसी तरह, जैन कैलेंडर के भी कुछ अपने नियम और शर्तें होती है जिन्हें पूरा करना बेहद आवश्यक होता है। इनमें से एक नियम है कि यह कैलेंडर लूनी सौर पर आधारित होता है। सामान्य शब्दों में कहें, तो 2025 जैन कैलेंडर को तैयार करने के लिए सूर्य और चंद्रमा दोनों की ही चाल, स्थिति और गति को देखा जाता है। बता दें कि वर्ष 2025 में पड़ने वाले जैन धर्म के पर्वों और अवकाशों की तिथि पारंपरिक चंद्र सौर कैलेंडर की गणना करके निर्धारित की गई है।
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जैन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों द्वारा वीर संवत कैलेंडर को देखा जाता है और इस कैलेंडर की जड़े हिंदू कैलेंडर से जुड़ी हुई हैं। जैन समुदाय के लोगों के लिए दशलक्षणी पर्व के दस दिनों को सबसे पवित्र माना’जाता है। 2025 जैन कैलेंडर के अनुसार, इस कैलेंडर के प्रथम महीने में आने वाली पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि अन्य सभी कैलेंडरों की तरह ही जैन कैलेंडर में एक वर्ष में कुल 12 महीने आते हैं और हिंदू नव वर्ष की तरह ही इनका नव वर्ष चैत्र से शुरू होता है।
हिंदू धर्म के समान ही जैन धर्म में भी अनेक व्रत व त्योहार मनाये जाते हैं जिन्हें जैन संप्रदाय के लोगों द्वारा बेहद उत्साह एवं जोश से मनाया जाता है। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं जैन धर्म के महत्वपूर्ण व्रत-त्योहारों का महत्व।
2025 जैन कैलेंडर के अनुसार, रोहिणी व्रत की गिनती जैन धर्म के सबसे प्रमुख व्रतों में होती है। इस व्रत का संबंध 27 नक्षत्रों में से एक रोहिणी नक्षत्र से है। रोहिणी व्रत के दिन जैन धर्म के लोग व्रत आदि करते हैं और हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर माह आता है। रोहिणी व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन से शुरू होकर अगले नक्षत्र मार्गशीर्ष तक चलता है। जैन धर्म का पालन करने वाली सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत करती हैं।
मेरु त्रयोदशी व्रत को जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। इस व्रत को करने से जातक को संसार के सभी सुखों के साथ आत्मिक शांति भी प्राप्त होती है। जैन धर्म के इस प्रसिद्ध त्योहार को पिंगल कुमार की स्मृति में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है जो कि मेरु त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत के संबंध में मान्यता है कि अगर कोई मनुष्य मेरु त्रयोदशी का व्रत सच्चे हृदय से करता है, उसे मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
2025 जैन कैलेंडर के मुताबिक, जैन धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों द्वारा संवत्सरी पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार,यह पर्वहर वर्ष भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है। संवत्सरी के सात दिनों में लोग त्याग और तपस्या में लीन रहते हैं और इस पर्व के आठवें दिन को महापर्व के रूप में मनाया जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस अवसर पर भक्तजन अपने समस्त पापों की आलोचना करने के साथ-साथ उनसे मुक्ति पाने के लिए ध्यान करते हैं तथा क्षमा याचना करते हैं।
भगवान महावीर जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से एक है और इस दिन को महावीर जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की स्थापना का श्रेय महावीर जी को ही जाता है।
जैसे हिंदू धर्म में लक्ष्मी पूजा को शुभ माना जाता है, उसी तरह जैन धर्म में भी लक्ष्मी पूजा को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान महावीर को जिस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, उस दिन जैन समुदाय के लोगों द्वारा लक्ष्मी पूजन की जाती है। यह तिथि किसी भी तरह के नए एवं मांगलिक काम को शुरू करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी लेख के लिए बने रहिए एस्ट्रोकैंप के साथ। धन्यवाद !
1. अष्टान्हिका पर्व कब है 2025 में?
वर्ष 2025 में अष्टान्हिका 07 मार्च, शुक्रवार से शुरू होकर 14 मार्च, शुक्रवार को समाप्त होंगे।
2. जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व कौन सा है?
पर्युषण पर्व की गिनती जैन धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में होती है।
3. जुलाई 2025 में रोहिणी व्रत कब है?
वर्ष 2025 में रोहिणी व्रत 21 जुलाई, सोमवार के दिन किया जाएगा।
4. 2025 में दशलक्षण कब से है?
इस साल 28 अगस्त, गुरुवार से दशलक्षण पर्व की शुरुआत शुरू होंगे।