Author: -- | Last Updated: Tue 24 Sep 2019 3:29:24 PM
मुंडन मुहूर्त 2020 से पूर्व हमें यह जानने की आवश्यकता है कि मुंडन मुहूर्त आवश्यकता क्यों है। मुंडन संस्कार हिंदुओं की धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। यह सोलह संस्कारों में से एक है। इस संस्कार में बच्चे के जन्मकालीन केश (बाल) को काटकर उसका मुंडन किया जाता है। हिन्दू धर्म में इस संस्कार को चूड़ाकर्म, चौलकर्म, चौल मुंडन आदि के नाम से जाना जाता है। मुंडन संस्कार को एक विशेष मुहूर्त में किया जाता है। इसे हम मुंडन मुहूर्त के नाम से जानते हैं। आज हम इस लेख में आपको वर्ष 2020 में पढ़ने वाले सभी मुंडन संस्कार के लिए मुहूर्त की सूची उपलब्ध करा रहे हैं। यहाँ आप अपनी सुविधा अनुसार मुहूर्त का चयन कर अपने बच्चे का मुंडन संस्कार कर सकते हैं।
जनवरी मुंडन मुहूर्त 2020 | ||||
दिनांक | वार | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त का समयावधि |
16 जनवरी | गुरु | माघ कृ. षष्ठी | हस्त | 07:15-09:42 |
17 जनवरी | शुक्र | माघ कृ. सप्तमी | चित्रा | 07:15-07:28 |
27 जनवरी | सोम | माघ शु. तृतीया | शतभिषा | 07:12-19:12 |
30 जनवरी | गुरु | माघ शु. पंचमी | उ.भाद्रपद | 15:12-19:00 |
31 जनवरी | शुक्र | माघ शु. षष्ठी | रेवती | 07:10-18:10 |
फरवरी मुंडन मुहूर्त 2020 | ||||
दिनांक | वार | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त का समयावधि |
7 फरवरी | शुक्र | माघ शु. त्रयोदशी | पुनर्वसु | 07:06-18:24 |
13 फरवरी | गुरु | फाल्गुन कृ. पंचमी | हस्त | 07:02-20:02 |
14 फरवरी | शुक्र | फाल्गुन कृ. षष्ठी | स्वाति | 07:01-18:21 |
17 फरवरी | सोम | फाल्गुन कृ. नवमी | ज्येष्ठा | 14:36-20:06 |
21 फरवरी | शुक्र | फाल्गुन कृ. त्रयोदशी | उत्तराषाढ़ा | 09:13-17:21 |
28 फरवरी | शुक्र | फाल्गुन शु. पंचमी | अश्विनी | 06:48-19:23 |
मार्च मुंडन मुहूर्त 2020 | ||||
दिनांक | वार | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त का समयावधि |
5 मार्च | गुरु | फाल्गुन शु. दशमी | आर्द्रा | 11:26-18:59 |
11 मार्च | बुध | चैत्र कृ. द्वितीया | हस्त | 06:35-18:36 |
13 मार्च | शुक्र | चैत्र कृ. चतुर्थी | स्वाति | 08:51-13:59 |
अप्रैल मुंडन मुहूर्त 2020 | ||||
दिनांक | वार | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त का समयावधि |
16 अप्रैल | गुरु | वैशाख कृ. नवमी | धनिष्ठा | 18:12-20:50 |
17 अप्रैल | शुक्र | वैशाख कृ. दशमी | उ.भाद्रपद | 05:54-07:05 |
27 अप्रैल | सोम | वैशाख शु. चतुर्थी | मृगशिरा | 14:30-20:07 |
29 अप्रैल | बुध | वैशाख शु. षष्ठी | पुनर्वसु | 05:42-19:58 |
30 अप्रैल | गुरु | वैशाख शु. सप्तमी | पुष्य | 05:41-14:39 |
मई मुंडन मुहूर्त 2020 | ||||
दिनांक | वार | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त का समयावधि |
13 मई | बुध | ज्येष्ठा कृ. षष्ठी | श्रावण | 05:32-19:04 |
14 मई | गुरु | ज्येष्ठा कृ. सप्तमी | श्रावण | 05:31-06:51 |
20 मई | बुध | ज्येष्ठ कृ. त्रयोदशी | अश्विनी | 05:28-19:19 |
25 मई | सोम | ज्येष्ठ शु. तृतीया | मृगशिरा | 05:26-05:54 |
27 मई | बुध | ज्येष्ठ शु. पंचमी | पुनर्वसु | 05:25-20:28 |
28 मई | गुरु | ज्येष्ठ शु. षष्ठी | पुष्य | 0525-0727 |
जून मुंडन मुहूर्त 2020 | ||||
दिनांक | वार | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त का समयावधि |
1 जून | सोम | ज्येष्ठ शु, दशमी | हस्त | 05:24-13:16 |
3 जून | बुध | ज्येष्ठ शु, द्वादशी | स्वाति | 05:23-06:21 |
7 जून | रवि | आषाढ़ कृ. द्वितीया | मूल | 05:23-19:44 |
8 जून | सोम | आषाढ़ कृ. तृतीया | उत्तराषाढ़ा | 05:23-18:21 |
10 जून | बुध | आषाढ़ कृ. पचमी | श्रावण | 05:23-10:34 |
11 जून | गुरु | आषाढ़ कृ. षष्ठी | धनिष्ठा | 11:28-19:29 |
15 जून | सोम | आषाढ़ कृ. दशमी | रेवती | 05:23-16:31 |
17 जून | बुध | आषाढ़ कृ. एकादशी | अश्विनी | 05:23-06:04 |
मुंडन मुहूर्त 2020 के इस लेख के माध्यम से हम आपको बता रहे हैं कि हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों (गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारंभ, केशांत, समावर्तन, विवाह एवं अंत्येष्टि) का बड़ा महत्व है। यह संस्कार जन्म से पूर्व (जब बच्चा माँ के गर्भ में हो) से लेकर मरणोपरांत तक होते हैं। इन्हीं संस्कारों में से एक है चूड़ा संस्कार। यह संस्कार कब किया जाता है यह बच्चे के लिंग पर आधारित होता है। यदि बालक है तो उसका मुंडन संस्कार जन्म से विषम वर्षों में पहले, तीन, पाँच या फिर सात वर्ष में करना चाहिए। जबकि बालिका के लिए यह संस्कार सम वर्षों में होता है।
मुंडन मुहूर्त 2020 के माध्यम से हम मुंडन संस्कार की आवश्यकता के बारे में बता रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि बालक के अपनी माँ के गर्भ में नौ माह तक रहने पर उसके बालों में कई दूषित कण आ जाते हैं और मुंडन संस्कार से उसके बालों को काटकर उस अशुद्धि को दूर किया जाता है। हालाँकि हिन्दू धर्म में इस संस्कार को करने की अन्य वजह भी बतायीं गई हैं। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य का जन्म 84 लाख योनियों में जन्म लेने बाद मिलता है।
मनुष्य जन्म में व्यक्ति अपने पिछले जन्मों के पापों का प्रायश्चित करने में सहज रूप से सक्षम है। इसी तथ्य को बल देते हुए ऐसा कहा जाता है कि मुंडन संस्कार में बाल को काटने से व्यक्ति के द्वारा पिछले जन्म में किए गए पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं। व्यक्ति को पिछले जन्मों के ऋणों से मुक्ति मिल जाती है। इस संस्कार में शिशु के सिर के बाल पहली बार उतारे जाते हैं।
इस कर्म से बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास अच्छी तरह से होता है। मुंडन के संदर्भ में यजुर्वेद में उल्लेख है कि, मुंडन संस्कार बल, आयु, आरोग्य तथा तेज की वृद्धि के लिए किया जाने वाला अति महत्वपूर्ण संस्कार है।
मुंडन मुहूर्त 2020 के माध्यम से अब आपको बताते हैं मुंडन मुहूर्त का महत्व। हिन्दू धर्म में होने वाले 16 संस्कारों को एक विशेष मुहूर्त में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य पूर्ण होता है। जिस उद्देश्य के लिए वह कार्य किया जाता है उसमें सफलता मिलती है। धार्मिक कर्मकांड के लिए मुहूर्त का निर्धारत पंचांग से किया जाता है। इसमें शुभ तिथि, नक्षत्र एवं वार आदि को देखा जाता है। उसके बाद ही मुहूर्त का निर्धारण होता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ , आषाढ़, माघ और फाल्गुन मास में बच्चों का मुण्डन संस्कार कराना चाहिए। वहीं तिथियों में द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी मुंडन संस्कार के लिए शुभ मानी जाती है। जबकि दिनों में सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार शुभ दिन माने गये हैं। वहीं शुक्रवार के दिन बालिकाओं को मुंडन नहीं करना चाहिए।
नक्षत्रों में अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाति, ज्येष्ठ, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा मुंडन संस्कार के लिए शुभ माने गये हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार जन्म मास व जन्म नक्षत्र और चंद्रमा के चतुर्थ, अष्टम, द्वादश और शत्रु भाव में स्थित होने पर मुंडन निषेध माना गया है। वहीं कुछ विद्वान जन्म नक्षत्र या जन्म राशि को मुंडन के लिए शुभ मानते हैं। द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, षष्टम, सप्तम, नवम या द्वादश राशियों के लग्न या इनके नवांश में मुंडन शुभ होते हैं।
मुंडन मुहूर्त 2020 के माध्यम से अब जानते हैं की मुंडन संस्कार किस प्रकार से करना चाहिए:
हालाँकि मुंडन के समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जिससे बच्चे को किसी तरह का शारीरिक नुकसान न पहुँचे। मुंडन कराते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इस दौरान बच्चे का पेट भरा रहना चाहिए। क्योंकि यदि बच्चा भूखा होता है तो वह मुंडन कराते समय छटपटाने लगता है। ऐसा करने से उसे चोट भी आ सकती है। मुंडन में होने वाला उस्तरा स्वस्छ होना चाहिए। इसके साथ ही मुंडन करने वाला नाई भी अनुभवी हो। क्योंकि जरा सी दुर्घटना बच्चे को चोटिल कर सकती है। मुंडन के बाद बच्चे को भली प्रकार से नहलवाना चाहिए, जिससे की उसके शरीर में चिपके हुए बाल साफ हो जाएं।
मुंडन के संदर्भ में यजुर्वेद में उल्लेख है कि, मुंडन संस्कार बल, आयु, आरोग्य तथा तेज की वृद्धि के लिए किया जाने वाला अति महत्वपूर्ण संस्कार है।
हर एक माँ-बाप अपनी संतान को ख़ुशहाल और निरोगी काया को देखना चाहते हैं। मुंडन संस्कार भी उनकी ये आशाओं को पूरा करने का विधान है। चूँकि यह संस्कार एक विधि के अनुसार किया जाता है, जिमसें यज्ञ हवन का आयोजन और मंत्रों सहित देवताओं का आवाह्न आदि। इसलिए यह बिना किसी पंडित या ज्योतिषी के नहीं किया जाता है। मुंडन मुहूर्त 2020 के इस लेख के द्वारा हमने आपकी जानकारी बढ़ाने का प्रयत्न किया है। आशा करते हैं आपको ये लेख पसंद आया होगा।