Author: -- | Last Updated: Tue 21 Sep 2021 9:06:46 AM
एस्ट्रो कैंप के इस वक्री ग्रह 2022 कैलेंडर के माध्यम से हम आपको बताएँगे 2022 में कौन सा ग्रह कब वक्री हो रहा है और साथ ही जानेंगे इससे बचने के कुछ सरल सटीक ज्योतिषीय उपायों के बारे में भी। तो आगे बढ़ते हैं और जानते हैं 2022 वक्री ग्रहों का सभी बारह राशियों पर क्या और कैसा प्रभाव देखने को मिलेगा।
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सौरमंडल में सभी ग्रह सूर्य के इर्द गिर्द एक पूर्वनिर्धारित पैटर्न में घूमते अर्थात चक्कर लगाते हैं। हालांकि सूर्य के चारों ओर दिन और रात चक्कर लगाने के अलावा इन ग्रहों के पास हमारे आपके जीवन को प्रभावित करने का अधिकार होता है। सरल शब्दों में कहें तो यह ग्रह सिर्फ सूर्य के इर्द-गिर्द चक्कर ही नहीं लगाते हैं बल्कि इनका मानव जीवन और भाग्य पर भी खासा प्रभाव होता है। ग्रहों का हमारे जीवन और भाग्य पर बहुत ही गहरा और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। एक ग्रह राशि चक्र में घूमते समय कुछ विशिष्ट ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। सूर्य ग्रह, चंद्रमा ग्रह, बुध ग्रह, मंगल ग्रह और शुक्र ग्रह कुछ ऐसे ग्रह हैं जिनकी गति काफी तेज होती है। इन ग्रहों को आंतरिक ग्रह भी कहा जाता है और यह हमारे दैनिक जीवन, प्रकृति और मनोदशा को ज्यादा गहराई से प्रभावित करते हैं। वही इसके विपरीत कुछ ऐसे ग्रह भी होते हैं जिनकी गति काफी धीमी होती है और यह ग्रह अपनी धीमी गति की वजह से एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करने के लिए ढाई साल तक का समय भी लगा लेते हैं। इसमें बृहस्पति ग्रह, शनि ग्रह, राहु ग्रह और केतु ग्रह शामिल हैं। इन ग्रहों का हमारे जीवन पर काफी ज्यादा प्रभाव और काफी लंबे समय तक प्रभाव देखने को मिलता है।
इसके अलावा यह सभी ग्रह मार्गी और वक्री गति में चलते हैं। वक्री ग्रहों 2022 कैलेंडर के द्वारा 2022 में वक्री ग्रहों की तिथियों, प्रभाव और उपाय जानने से पहले आइए समझ लेते हैं कि वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के वक्री होने का वास्तविक अर्थ क्या होता है।
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तकरीबन सभी व्यक्तियों की कुंडली में एक या दो ग्रह वक्री अवश्य होते हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि ज्यादातर लोग यह जानने में रुचि रखते हैं कि उनकी कुंडली में वक्री ग्रह क्या कुछ संकेत दे रहा है या क्या कुछ प्रभाव डालने वाला है। सरल शब्दों में समझाएं तो एक ग्रह जब वक्री होता है तो इस दौरान वह पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इसलिए माना जाता है जब भी कोई ग्रह वक्री गति में चलता है तो वह पृथ्वी के पास गोचर करता है। ऐसे में जब धरती से देखा जाता है तो वह वक्री करने वाला ग्रह एक विशिष्ट समय पर रुका हुआ और पीछे की ओर बढ़ता हुआ प्रतीत होता है। वक्री ग्रहों को बेहद शक्तिशाली माना जाता है और इसलिए उस अवधि के दौरान वक्री ग्रह हमारे जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। ज्योतिष की दृष्टि से ग्रह शक्ति का निर्माण करते हैं, और वह वक्री समय के दौरान पूर्ण प्रभाव देने और अधिक षड्बल रखने में सक्षम होते हैं।
आगे बढ़ते हैं और एक नजर डालते हैं वक्री ग्रहों से जुड़ी कुछ धारणाओं पर। मुमकिन है कि यह ग्रह कुंडली में अपनी कार्यात्मक प्रवत्ति को ना बदलें इसलिए जब कोई अनुकूल ग्रह कुंडली में वक्री हो जाता है तो तब भी यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिणाम डालता है। इसी तरह से जब कोई अशुभ ग्रह कुंडली में वक्री हो जाता है तो वह भी व्यक्ति को नकारात्मक प्रभाव ही प्रदान करता है। हालांकि वक्री ग्रह का स्थान उच्च या नीच की स्थिति में होने के कारण कुंडली में अपनी कार्यात्मक प्रकृति में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं कर सकता है। हालांकि यह स्थान ऐसे वक्री ग्रहों की ताकत या क्षमता को बदल अवश्य सकता है।
अब हम जानेंगे कि जब एक ग्रह वक्री होता है तो इसका क्या प्रभाव होता है। वक्री ग्रह सीधे गतिमान ग्रह के समान नहीं होते हैं और इसलिए इनके परिणाम भी अलग होने की संभावना रहती है। आइए जानते हैं कि वक्री होने पर ग्रह किस प्रकार से प्रभावित होते हैं और साथ ही नीचे दी गई तालिका के माध्यम से जानते हैं 2022 में कौन सा ग्रह कब वक्री होने जा रहा है:
ग्रह | वक्री प्रारंभ | वक्री समाप्त | इस राशि से | इस राशि में |
बुध ग्रह | शुक्रवार 14 जनवरी 2022 | शुक्रवार 4 फरवरी 2022 | मकर राशि | मकर राशि |
बुध ग्रह | मंगलवार 10 मई 2022 | शुक्रवार 3 जून 2022 | वृषभ राशि | वृषभ राशि |
बुध ग्रह | शनिवार 10 सितंबर 2022 | रविवार 2 अक्टूबर 2022 | कन्या राशि | कन्या राशि |
बृहस्पति/गुरु ग्रह | शुक्रवार 29 जुलाई 2022 | गुरुवार 24 नवंबर 2022 | मीन राशि | मीन राशि |
शुक्र ग्रह | रविवार 19 दिसंबर 2021 | शनिवार 29 जनवरी 2022 | मकर राशि | धनु राशि |
शनि ग्रह | रविवार 5 जून 2022 | रविवार 23 अक्टूबर 2022 | कुंभ राशि | मकर राशि |
मंगल ग्रह | रविवार 30 अक्टूबर 2022 | शुक्रवार 13 जनवरी 2023 | मिथुन राशि | वृषभ राशि |
आइए अब हम लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
ग्रहों की वक्री गति की अवधि में जातकों को विदेश यात्रा करनी पड़ सकती है और उन्हें काफी संघर्षों का भी सामना करना पड़ सकता है। बुध ग्रह के वक्री होने पर व्यक्ति को मिश्रित परिणाम हासिल होते हैं। विभिन्न ग्रहों के साथ ग्रह के संबंध और कई अलग-अलग कारकों के आधार पर वक्री बुध के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव का विश्लेषण किया जाता है। उदाहरण के तौर पर समझाएं तो यदि किसी व्यक्ति की कुंडली सकारात्मक परिणाम प्रदान कर रही है तो वक्री अवस्था में बुध कुंडली में सकारात्मक परिणाम ही देगा और इसके विपरीत यदि किसी व्यक्ति की कुंडली नकारात्मक परिणाम दे रही है तो वक्री अवस्था में बुध उस व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक परिणाम देगा। वक्री बुध व्यक्ति के व्यापार और बुद्धि को प्रभावित करता है। इसके अलावा यह नकारात्मक विचारों और व्यवहारों को भी बदलने के लिए जाना जाता है। साथ ही वक्री बुध के प्रभाव से व्यक्ति के निर्णय लेने और अभिव्यक्ति में भी परिवर्तन देखने को मिलता है।
बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह है यह 88 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है और 58.65 दिनों में अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करता है। बुध ग्रह लगभग 20 से 24 दिनों की अवधि के लिए वक्री हो जाता है और वक्री हर 4 महीने में होता है।
बुध वक्री होने से वाक् क्षमता और संचार कौशल से संबंधित चीजें बदल जाती हैं। जातक अधिक अंतर्मुखी या बहिर्मुखी हो सकते हैं। इसके अलावा, यह समग्र कुंडली के आधार पर कुछ अन्य अच्छे बदलाव भी कर सकता है।
बुध के वक्री होने का प्रभाव बेहद ही स्पष्ट होता है क्योंकि इस परिस्थिति में कई बार लोग जल्दबाजी में निर्णय ले सकते हैं और यह निर्णय व्यक्ति को भविष्य में कुछ बाधाएं पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा वक्री बुध की उपस्थिति में व्यक्ति का व्यवहार भी बदल जाता है। बुध ग्रह जातक के विचार और व्यवहार में परिवर्तन लाता है। बुध ग्रह दूरसंचार और मीडिया से संबंधित होता है। बुध लेखन, कॉमेडी आदि का कारक है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को अपने फोन, कंप्यूटर, टैबलेट या किसी अन्य गैजेट के साथ काम करने में कोई परेशानी हो रही है या उनका कोई महत्वपूर्ण डाटा आदि चोरी या गायब या फिर डिलीट हो गया है तो यह इस बात का संकेत होता है कि वक्री बुध उनके जीवन पर प्रभाव डाल रहा है। इसके अलावा वक्री बुध के परिणाम स्वरूप व्यक्तियों को अपनी यात्राओं और योजनाओं में कुछ देरी या फिर नुकसान उठाना पड़ सकता है और शिक्षा से संबंधित जातकों को नए विषय समझने में या फिर पेशेवर जातकों को कार्य क्षेत्र में कोई नई रणनीति या परियोजना समझने में परेशानियों और भ्रम का सामना करना पड़ सकता है। बुध व्यावसायिक समझ, अवलोकन और संगठनात्मक क्षमता को भी नियंत्रित करता है।
उच्च में बुध की उपस्थिति ऊपर वर्णित गुण को बढ़ाती है, और यह जातक को अच्छा संचार कौशल और उच्च बौद्धिक शक्ति प्रदान करती है और उसे स्वभाव से बहुत व्यावहारिक बनाती है। वहीं दूसरी तरफ बुध ग्रह यदि शुभ स्थिति में ना हो तो इससे व्यक्ति को अपने जीवन में आत्मविश्वास की कमी, कम स्मृति, अपने विचारों को व्यक्त करने में परेशानी और अप्रत्याशित भय और गलत धारणाओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि बुध ग्रह वक्री स्थिति में हो और किसी पाप ग्रह के साथ युति में हो तो उसका प्रभाव और भी ज्यादा मजबूत हो जाता है और इससे जातक को कुछ गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। वहीं इसके विपरीत यदि यह किसी सकारात्मक ग्रह के साथ हो तो जातक को इस दौरान धन के मामले में संचार कौशल और कोई भी निर्णय लेने के कौशल में वृद्धि के साथ उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त होते हैं।
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ऐसी मान्यता है कि शुक्र का वक्री होना उतना महत्वपूर्ण नहीं माना गया है जितना बुध का वक्री होना होता है। हालांकि यह कहना एकदम गलत है। वक्री शुक्र कूटनीति के तत्वों में परिवर्तन का संकेत दे सकता है, जो शुक्र द्वारा प्रदर्शित प्रमुख विशेषताओं में से एक है। वक्री शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति सामान्य से अधिक कूटनीतिक हो सकता है और मुमकिन है कि इसके प्रभाव से व्यक्ति इंद्रियों के सुख में लिप्त भी हो सकता है। शुक्र इस बात को नियंत्रित करता है कि एक व्यक्ति कैसा महसूस करता है और प्यार कैसे करता है। शुक्र ग्रह कला, आनंद, भौतिक पहलुओं और व्यक्तियों के बीच के संबंधों को भी नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। ऐसे में जब शुक्र ग्रह वक्री होता है तो सलाह यही दी जाती है कि इन क्षेत्रों से सीधे संबंधित गतिविधियों में शामिल ना हो।
शुक्र तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है और सूर्य के सबसे निकट का दूसरा ग्रह है। यह सूर्य से 108 मिलियन किलोमीटर दूर है और 225 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। शुक्र ग्रह हर 19 महीनों में वक्री प्रतीत होता है और इसकी वक्री अवधि लगभग 40 से 43 दिनों की होती है।
इस अवधि के दौरान वित्त संपत्ति और अन्य रचनात्मक और कलात्मक पक्ष आपके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान हासिल करेंगे और आप इन चीजों को अपने जीवन के इस क्षेत्र में कैसे विकसित करें इस पर भी विचार कर सकते हैं। शुक्र की यह वक्री चाल आपके दिल की बात लोगों से व्यक्त करने और रिश्तों में आवश्यक बदलाव या प्रदान करने में सहायक साबित होगी। साथ ही इस दौरान आप अपने रिश्ते में किसी भी तरह की निराशा और दुख से खुद को ज्यादा प्रसन्न और खुश महसूस करेंगे। कुछ लोगों के लिए कलात्मक पहलू व्यक्त करने के लिए यह समय बेहद शानदार साबित होगा। अपनी ही उच्च राशि में शुक्र ग्रह का वक्री होना इस अवधि के दौरान जातकों को रोमांटिक, सौंदर्य प्रेमी और अधिक महत्वाकांक्षी बनाने में सहायक साबित होगा।
वहीं इसके विपरीत जब शुक्र नीच राशि या पीड़ित अवस्था में होता है तो इस दौरान आपके रिश्ते में संतुष्टि की भावना की कमी, बहुत ज्यादा स्वार्थी और बहुत ही बचकाना बन सकते हैं। जिनसे आपके रिश्तों में समस्याओं के पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है। यदि किसी व्यक्ति को अपनी बात सही ढंग से व्यक्त करने में समस्या आ रही हो या फिर आपका आपके साथी, पत्नी या प्रेमिका के साथ बात बात पर विवाद उत्पन्न हो रहा हो तो स्वाभाविक है कि आप पर शुक्र ग्रह का प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा व्यक्ति को अपने जीवन में प्रेम इत्यादि की कमी भी महसूस हो सकती है जिससे आप बेहद ही निराशा महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा इस दौरान आपका ड्रेसिंग सेंस भी खराब हो सकता है और मुमकिन है कि आपको अपनी सेक्स लाइफ और रोमांटिक लाइफ ज्यादा दिलचस्प ना लगे।
बृहस्पति ग्रह या गुरु ग्रह को सलाहकार माना जाता है। गुरु प्रेम, भाग्य, विकास, आशीर्वाद और अन्य सकारात्मक विचारों का प्रतीक माना गया है। गुरु ग्रह के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में वृद्धि और विकास प्राप्त होता है। इससे व्यक्ति को जीवन में उच्च नैतिक मूल्यों के साथ-साथ भाग्य, धार्मिक सफलता और उदारता प्राप्त होती है।
बृहस्पति पूरे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह पृथ्वी के सबसे करीब 88,000,000 किमी है। सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 11.86 वर्ष लगते हैं। बृहस्पति हर साल वक्री हो जाता है, और इसकी अवनति अवधि कुल 110 दिनों की होती है। बृहस्पति को राशि चक्र का एक चक्कर पूरा करने में लगभग 12 साल लगते हैं और यह एक राशि में लगभग 13 महीने तक रहता है।
कुंडली में वक्री बृहस्पति ज्ञान और ज्ञान से संबंधित परिवर्तनों की वजह बन सकता है इसलिए वक्री बृहस्पति वाले जातक ज्ञान की खोज में सामान्य से अधिक रुचि ले सकते हैं। जबकि अन्य जातक ज्ञान की खोज में सामान्य से कम रुचि रखते हैं। वक्री बृहस्पति ज्ञान और ज्ञान को साझा करने या दूसरों तक फैलाने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।
कुंडली में बृहस्पति की कमजोर या अशुभ स्थिति व्यक्ति की शिक्षा को प्रभावित कर सकती है और साथ ही इससे आपके ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। वक्री गुरु व्यक्ति को दुष्ट बनाता है और ऐसे व्यक्ति दूसरों का अपमान करने लगते हैं। इसके अलावा ऐसे जातकों को ज्ञान, धन, शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है और वक्री अवधि के दौरान व्यक्ति का पाचन तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा वक्री गुरु काम करने के उत्साह और कड़ी मेहनत करने और सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा शक्ति को भी कम करता है।
वहीं इसके विपरीत जिन व्यक्तियों की कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति या मजबूत स्थिति में होता है ऐसे व्यक्तियों को जीवन में लाभ, सभी तरह के सुखों का आनंद प्राप्त होता है। साथ ही ऐसे व्यक्ति को बौद्धिक, महान संचार कौशल, के साथ मान सम्मान भी प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्तियों में धैर्य की क्षमता सराहनीय होती है। प्रबल गुरु के प्रभाव से व्यक्ति का रुझान अध्यात्म की ओर ज्यादा रहता है और उसके व्यक्तित्व में निखार देखने को मिलता है। इसके अलावा यह व्यक्ति को महान करियर और पहचान का आशीर्वाद प्रदान करता है। हालांकि मजबूत बुध के प्रभाव से व्यक्ति खुद को बेहद ही गौरवान्वित महसूस कर सकते हैं और अक्सर देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति अपनी उपलब्धियों और सफलता के बारे में अनावश्यक रूप से घमंडी भी हो जाते हैं।
ज्योतिष में शनि को धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना गया है। शनि ग्रह को बेहद बड़ा ग्रह माना जाता है और यह पृथ्वी से काफी दूर स्थित है। इस दूरी के कारण हम उसे धीमी गति में चलता हुआ देखते हैं। शनि ग्रह को व्यक्ति की आयु और दीर्घायु का कारक माना जाता है। ऐसे में जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह अनुकूल स्थिति में होता है ऐसे व्यक्ति को लंबी उम्र का वरदान प्राप्त होता है। हालांकि बहुत से लोग शनि ग्रह को अशुभ ग्रह मानते हैं लेकिन वास्तव में शनि ग्रह एक शिक्षक के रूप में जाना जाता है और यह अपने छात्रों अर्थात जातकों को उनके कर्म के अनुरूप ही फल प्रदान करता है। इसके अलावा शनि ग्रह को न्याय का ग्रह भी माना जाता है और वह एक न्यायाधीश की ही तरह व्यवहार करता है और व्यक्ति को उनके अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर न्याय और फल देता है। अर्थात जो व्यक्ति बुरे काम करता है उसे बुरे फल मिलते हैं और जो व्यक्ति अच्छे काम करता है उसे अच्छे फल प्राप्त होते हैं। शनि हड्डियों पर भी काम करता है। शरीर की सभी बड़ी हड्डियां शनि द्वारा शासित होती है। शनि अपने स्वभाव के अनुसार व्यक्ति के जीवन में दीर्घकालीन रोग की समस्या की वजह भी बन सकता है। इस तरह के रोग लंबे समय तक चलने वाले और मुश्किल से इलाज योग्य होते हैं।
शनि दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है और सूर्य से 350,000,000 किमी दूर है। यह धीमी गति से चलने वाला ग्रह है और सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 29.5 वर्ष का समय लेता है। यह प्रति वर्ष लगभग 135 दिनों की अवधि के लिए वक्री दिखाई देता है और राशि चक्र के चारों ओर घूमने में लगभग 30 वर्ष का समय लेता है, और लगभग 2.5 वर्षों तक प्रत्येक राशि में रहता है।
वैदिक ज्योतिष में वक्री शनि को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि शनि को कार्य और सफलता का स्वामी माना जाता है। शनि ग्रह को लेकर बहुत से लोगों में भय बना रहता है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि उस शनि ग्रह उन्हें दर्द और पीड़ा देगा। हालांकि ऐसा सही नहीं है। यदि व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह शुभ स्थिति में मौजूद होता है तो इसके प्रभाव से व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। वक्री शनि ग्रह को प्रशासनिक कौशल का प्रतीक माना गया है। प्रत्यक्ष रहने वाले जातकों की तुलना में जब शनि वक्री अवस्था में होता है तो सामान्य की तुलना से अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली हो जाता है। जैसा कि कहते हैं शनि कर्म के अनुसार व्यक्ति को फल देता है ऐसे में व्यक्ति की कुंडली में अनुकूल और प्रतिकूल स्थिति के दौरान ही परिणाम देता है।
लाभकारी शनि, सकारात्मक रूप से वक्री शनि, जातक को धन और सुख में अचानक वृद्धि प्रदान करता है और व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में न्यायपूर्ण और इन नियमों का पालन करने वाला बनाता है। ऐसे जातक सही दिशा में अधिक रहते हैं और हमेशा गलत के खिलाफ लड़ते हैं। इसके अलावा यह व्यक्ति को अपने करियर और काम के प्रति ईमानदार और गंभीर बनाता है।
वहीं इसके विपरीत अशुभ शनि वक्री शनि के प्रभाव स्वरूप व्यक्ति को अपने जीवन में तमाम तरह के संघर्षों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने पेशेवर जीवन में तमाम तरह की उठापटक का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे व्यक्तियों के पास धन बहुत आसानी से नहीं आता है, समाज में भी इनकी बहुत ज्यादा इज्जत भी नहीं होती है। ऐसे व्यक्तियों का अन्य लोगों के साथ संबंध अच्छा नहीं रहता है और वैवाहिक जीवन में इन्हें तमाम तरह के असंतुलन इत्यादि का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही ऐसे व्यक्तियों की निर्णय लेने की क्षमता भी काफी कम होती है। जिनके प्रभाव से कई बार व्यक्ति गलत निर्णय ले लेते हैं जिससे भविष्य में आपको ही चोट और नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा ऐसे जातक के जीवन में कोर्ट कचहरी के मामलें भी उत्पन्न होकर परेशानी खड़ी करते हैं।
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मंगल को एक उग्र ग्रह, लाल ग्रह के रूप में जाना जाता है और इसकी ऊर्जा को समाहित नहीं किया जा सकता है। इस ऊर्जा को क्रिया और भौतिक साधनों के माध्यम से मुक्त करने की आवश्यकता होती है। मंगल ग्रह जातकों को चुनौतियों का सामना करने लड़ने और बाधाओं के बावजूद अपने जीवन के हर एक क्षेत्र में जीतने साहस और प्रतिस्पर्धी भावना के लिए लिहाज से मदद करता है। इसके अलावा मंगल ग्रह यौन सहित सभी प्रकार की ऊर्जाओं का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल ग्रह कोई भी नया काम शुरू करने और उसे ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करता है और साथ ही व्यक्ति को भावना और महत्वाकांक्षाओं के साथ जोड़ता है। मंगल ग्रह जातक को जीवन के किसी भी क्षेत्र में जीतने और सर्वश्रेष्ठ बनने की प्रेरणा प्रदान करता है।
मंगल सूर्य से चौथे स्थान पर है और पृथ्वी से देखने पर मृत प्रतीत होता है। यह पृथ्वी से लगभग 56,000,000 किमी दूर है। यह सूर्य की परिक्रमा करता है और 687 दिनों में एक चक्कर पूरा करता है। मंगल वक्री हो जाता है और पृथ्वी से पीछे की ओर बढ़ता हुआ प्रतीत होता है। इसकी प्रतिगामी अवधि लगभग 6280 दिनों की होती है और आमतौर पर हर 26 महीने में होती है। कहा जाता है कि मंगल को प्रत्येक राशि में लगभग 45 दिन लगते हैं और लगभग दो वर्ष पूरे राशि चक्र के चक्र को पूरा करने में लगते हैं।
वक्री मंगल का ज्योतिष में विशेष महत्व बताया गया है। मंगल ग्रह को उत्साह और ऊर्जा का कारक माना जाता है। ऐसे में जब मंगल वक्री होता है तो इसका व्यक्ति के जीवन पर बड़ा और ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। कुंडली में मंगल की वक्री अवस्था में होना व्यक्ति को निर्दयी और हृदयहीन बनाता है। हालांकि कुछ जातकों के लिए यह सौभाग्यशाली भी साबित हो सकता है।
शुभ मंगल या कुंडली में मंगल की अनुकूल स्थिति से जातक शारीरिक रूप से मजबूत होता है और आसपास के अन्य लोगों की तुलना में अधिक क्षमता वाला होता है। साथ ही ऐसे जातक सभी प्रकार के खेल, गतिविधियों और शारीरिक गतिविधियों में सफल भी होते हैं। मंगल ग्रह जातक को साहस का आशीर्वाद देता है और पुलिस, सेना, सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में अनुकूल परिणाम देता है।
वहीं इसके विपरीत अशुभ मंगल या कुंडली में मंगल के प्रतिकूल स्थिति से जातक हिंसक और क्रोधी स्वभाव का होता है और बिना सोचे समझे या किसी भी प्रकार का विश्लेषण किए किसी से भी मदद ले सकता है। ऐसे जातकों का पारिवारिक जीवन भी अक्सर परेशानी भरा होता है। क्योंकि मुमकिन होता है कि ऐसे लोग बिना किसी वजह के ही अपने साथी से लड़ाई झगड़ा कर लेते हैं जिससे उन दोनों के बीच दूरियां पैदा होने लगती हैं। मंगल ग्रह को रक्त का कारक कहा जाता है इसलिए स्वास्थ्य मोर्चे पर यह शरीर पर रक्त की कमी का संकेत देता है और ऐसे व्यक्तियों को आत्म सम्मान की कमी महसूस होती हो ऐसे व्यक्ति खुद पर भरोसा भी नहीं कर पाते हैं।
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