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शुभ मुहूर्त 2019

Author: - | Last Updated: Wed 31 Oct 2018 9:42:07 AM

shubh muhurat, 2019

शुभ मुहूर्त निकलवाने की परंपरा हिन्दू धर्म में सदियों से चली आ रही है. पहले लोग शुभ मुहूर्त निकलवाने के लिए पंचाग और ज्योतिषी-पुजारी पर ही निर्भर रहते थे, लेकिन समय के साथ-साथ जहाँ बहुत-सी चीजों में परिवर्तन आया, वहीं पंचांग भी इससे अछूता नहीं रह पाया. आज ऐसे बहुत से बेहतरीन और सटीक पंचांग ऐप इंटरनेट पर मौजूद हैं, जिनसे आप दैनिक जीवन के बहुत-से छोटे-मोटे कामों के लिए घर बैठे अपने मोबाइल पर ही आसानी से मुहूर्त देख सकते हैं. इनके अलावा बहुत-से ऐसे कैलेंडर भी मौजूद हैं जो हर तिथि, वार, ग्रह, नक्षत्र का बहुत अच्छा विवरण प्रस्तुत करते हैं. जिसे आम लोग भी आसानी से समझ सकते हैं.

मुहूर्त कितने होते हैं?

शास्त्रों में दिन और रात को मिलाकर कुल तीस मुहूर्त माने गए हैं, जिनके नाम हैं- आहि, रूद्र, पितृ, मित्र, विधि, वाराह, विश्वदेवा, सतमुखी, पुरुहूत, वसु, वाहिनी, वरुण, नक्तनकरा, अर्यमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर, पुष्य,विष्णु, यम, अश्विनी, कंड,विष्णु, समुद्रम, ब्रह्मा, अदिति जीव/अमृत, बुध्न्य, अग्नि, युमिगद्युति इनमें ब्रह्म' , 'अमृत/जीव' मूहुर्तों को बहुत शुभ माना जाता है.

मुहूर्त का महत्व और उपयोगिता

  • शुभ मुहूर्त किसी काम को आरम्भ करने का वह समय है, जिसे हिन्दू पंचांग के अनुसार तिथि, वार, मास, वर्ष, लग्न आदि के बारे में विचार करके निकाला जाता है.
  • वास्तव में मुहूर्त दो प्रकार के होते हैं- शुभ मुहूर्त और अशुभ मुहूर्त.
  • शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य अच्छे और मनोवांछित परिणाम देने वाला होता है जबकि अशुभ मुहूर्त में किया गया कार्य हानि करने वाला माना गया है. इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त निकलवाना परम आवश्यक होता है.
  • इस संसार में प्रत्येक वस्तु समयचक्र के अधीन है, समय और ग्रहों का शुभ और अशुभ प्रभाव, संसार भर में उपस्थित सभी जड़ और चेतन पदार्थों को प्रभावित करता है.
  • शुभ समय में किया गया कार्य सफल और अशुभ समय में किया गया कार्य निष्फल हो जाता है.
  • वार,तिथि, लग्न आदि के आधार पर निकाले गए इसी शुभ प्रभाव वाले समय को 'शुभ मुहूर्त' कहा जाता है.
  • हिन्दू धर्म में शुभ मुहूर्त का महत्व इसलिए भी है क्योंकि शुभ मुहूर्त में किसी भी काम को करके उसका अधिकाधिक लाभ उठाया जा सकता है.
  • शुभ मुहूर्त का महत्व इतना है कि गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक ऐसे बहुत से कार्य / संस्कार हैं, जिन्हें शुभ मुहूर्त में करना ही श्रेष्ठ माना जाता है.

विशेष अवसरों पर शुभ मुहूर्त का महत्व

मुहूर्त किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए निकाला जाता है. नया वाहन या नया घर खरीदने से लेकर, गृहप्रवेश, विवाह, हवन, यज्ञ, जन्मदिन ,नामकरण, विद्यारंभ करने के लिए, नया व्यापार या व्यवसाय शुरू करने के लिए, किसी पूजा विशेष आदि को करने के लिए विशेष रूप से मूहर्त निकाले जाते हैं.

मुहूर्त की गणना

शुभ मुहूर्त, किसी अनुभवी और योग्य ज्योतिषी द्वारा हिन्दू पंचांग के आधार पर निकाला जाता है. लेकिन कई बार छोटे-छोटे कामों के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाने, ज्योतिषी के पास जाना संभव नहीं होता, ऐसे में आप घर में मौजूद पंचांग कैलेंडर को देखकर जिसमें प्रतिदिन के शुभ और अशुभ मुहूर्तों की एक सूची दी गयी होती है, जिसे 'चौघड़िया' कहते हैं. चौघड़िया की सहायता से आप रोज़मर्रा के छोटे-मोटे काम करने के लिए शुभ मुहूर्त का पता स्वयं ही लगा सकते हैं. लेकिन कुछ ऐसे मुख्य कार्य होते हैं, जिनके लिए शुभ मुहूर्त किसी अनुभवी और योग्य ज्योतिषी से ही निकलवाना चाहिए.

कैसे जानें शुभ मुहूर्त के बारे में?

वैदिक ज्योतिष में हमेशा से ही पंचांग का अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ऐसे में पंचांग के 5 अंग; वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण की गणना के आधार पर मुहूर्त निकाला जाता है. जिसमें तिथियों को पांच भागों में बांटा गया है. नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता, और पूर्णा तिथि. उसी प्रकार पक्ष भी दो भागों में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभक्त है. जहाँ हिन्दू धर्म में नक्षत्र 27 प्रकार के बताए गए हैं तो वहीं एक दिन में 30 मुहूर्तों का वर्णन किया गया है. इनमें सबसे पहला मुहूर्त रुद्र होता है जो प्रात:काल 6 बजे से शुरू होता है। इसके बाद क्रमश: हर 48 मिनट के अतंराल पर आहि, मित्र, पितृ, वसु, वराह, विश्वेदवा, विधि आदि होते हैं। इसके अलावा चंद्रमा और सूर्य के निरायण और अक्षांश को 27 भागों में बांटकर योग की गणना की जाती है।

  • अन्नप्राशन मुहूर्त : माता के गर्भ में रहने के दौरान बालक में जो मलिन भोजन के अंश आ जातें हैं, उसकी शुद्धि के लिए और बालक को पहली बार शुभ अन्न खिलाने के लिए अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है. यह बालक के नामकरण की ही तरह एक शुभ कार्य है, इसलिए इसे शुभ मुहूर्त निकाल कर ही संपन्न किया जाता है.

    अन्नप्राशन मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – अन्नप्राशन मुहूर्त

  • विवाह मुहूर्त : हिंदुओं में विवाह की तिथि वर-वधू की जन्मराशि के आधार पर निकाली जाती है, जिससे विवाह करने के मुहूर्त भी कहा जाता है. विवाह मानव जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसका मुहूर्त बहुत विचारकर निकाला जाता है. सटीक और शुभ मुहूर्त के अभाव में विवाह में कई समस्याएं होने की संभावना रहती है.

    विवाह मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – विवाह मुहूर्त

  • कर्णवेधन मुहूर्त : कर्णवेधन संस्कार यानी कानों को छिदवाना भी एक महत्वपूर्ण हिन्दू धर्मसंस्कार है, जिसे शुभ मुहूर्त निकलवाकर ही किया जाना चाहिए. कर्णवेधन, बालक की बुद्धि और स्वास्थ्य दोनों के लिए ही अच्छा माना जाता है.

    कर्णवेधन मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – कर्णवेधन मुहूर्त

  • नामकरण मुहूर्त : नामकरण संस्कार में जन्म के बाद बालक का एक उचित नाम रखा जाता है, हिन्दूधर्म के अनुसार जातक के दो नाम रखे जाते हैं, जिनमें से एक गुप्त होता है, गुप्तनाम माता-पिता को ही मालूम होता है जबकि दूसरा नाम प्रचलित नाम होता है. दोनों ही नामों का निर्धारण शुभ मुहूर्त में ही किया जाना अनिवार्य है, इसलिए नामकरण का मूहुर्त निकाला जाता है.

    नामकरण मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – नामकरण मुहूर्त

  • मुंडन मुहूर्त : बालक के जन्म के बालों को अशुद्ध माना जाता है, इस अशुद्धि को हटाने के लिए हिन्दूधर्म में मुंडन संस्कार का प्रावधान है. हिन्दू धर्म के नियमानुसार मुंडन करने के लिए भी शुभ मुहूर्त निकाला जाता है.

    मुंडन मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – मुंडन मुहूर्त

  • विद्यारम्भ मुहूर्त : बालक की पढ़ाई आरम्भ करने से पहले विद्यारंभ संस्कार संपन्न किया जाता है, जिससे बालक की पढ़ाई सुचारु रूप से और बिना किसी परेशानी से चल सके, साथ ही बालक का मन पढ़ाई में लगे और उसे माता सरस्वती और गणेशजी का आशीर्वाद मिल सके. इस महत्वपूर्ण संस्कार के लिए भी शुभ मुहूर्त निकलवाने का प्रावधान है.

    विद्यारम्भ मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – विद्यारम्भ मुहूर्त

  • गृह प्रवेश मुहूर्त : जब भी कोई व्यक्ति पहली बार अपने नए घर में जाता है तो उस वक्त गृह प्रवेश संस्कार कराना अनिवार्य होता है। एेसा माना जाता है कि गृह प्रवेश के वक्त घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर चली जाती हैं। इसलिए ही लोग पूजा, हवन इत्यादि से घर की शुद्धि कर किसी पंडित-पुरोहित की मदद से ”शुभ मूहुर्त” में गृह प्रवेश संस्कार करते हैं।

    गृह प्रवेश मुहूर्त पढ़ने के लिए देखें – गृह प्रवेश मुहूर्त

मुहूर्त निकलते वक़्त इन बातों का रखें विशेष ध्यान

मुहूर्त निकालने के लिए पंचांग का इस्तेमाल किया जाता है, पंचांग- पांच अंगों - तिथि, वार , नक्षत्र, योग , करण का योग है, जिनके आधार पर ही शुभ मुहूर्त निकाला जाता है. मुहूर्त, किसी शुभ कार्य को करने का समय बताता है, अतः मुहूर्त के बारे में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि शुभ मुहूर्त का पूरा लाभ उठाया जा सके-

  • किसी भी तरह का कोई शुभ या मांगलिक काम अमावस्या के दिन बिलकुल भी आरम्भ नहीं करना चाहिए.
  • यदि किसी दिन, तिथि और नक्षत्र का योग 13 आता हो, उस दिन किसी उत्सव का आयोजन करने से बचना चाहिए.
  • रिक्ता तिथियों यानी चतुर्थी, नवमी एवं चतुदर्शी के दिन, रोजगार से जुड़ा कोई भी नया काम नहीं शुरू करना चाहिए.
  • बच्चों का विद्यारंभ कराने के लिए देवशयन काल का समय उचित नहीं माना जाता.
  • मुहूर्त निकालने समय क्षय तिथि को भी छोड़ देना अच्छा रहता है.
  • किसी भी प्रकार की संधि या समझौते को करने के लिए रविवार, मंगलवार और शनिवार का दिन उचित नहीं है.
  • नया वाहन की खरीददारी करने से पहले किसी सुयोग्य पंडित से जाँच करवा लें कि कहीं आपकी राशि से चंद्रमा घात राशि पर उपस्थित हो नहीं है.
  • जिस दिन कोई ग्रह अपना राशि परिवर्तन कर रहा हो तो उस समय न तो किसी कार्य की योजना बनाएं और न ही कोई नया कार्य आरंभ करें.
  • हर शुभ मुहूर्त, तिथि, नक्षत्र, चंद्रमा की स्थिति, योगिनी दशा और ग्रह स्थिति के आधार पर निकाला जाता है. शुभ कार्यों के प्रारंभ में भद्राकाल से बचना चाहिये, साथ ही चर और स्थिर लग्नों का ध्यान रखना चाहिए.

मुहूर्त से संबंधित जरुरी बातें

आधुनिकता के रंग में रंगे बहुत-से लोग मुहूर्त-ज्योतिष आदि को बेकार की बातें मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. सनातन धर्म के आधार स्तंभ वेदों में जो भी लिखा है, वह पूरी तरह वैज्ञानिक और तार्किक है. यदि ग्रह, नक्षत्र और समय सत्य हैं तो यह भी सत्य है कि इनका जड़- चेतन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. समय के साथ ज्योतिष के हर क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई है. इसलिए भी शुभ-अशुभ लग्नों और मूहुर्तों के बारे में पूरी जानकारी रखकर ही मुहूर्त निकालना सही होता है.

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