अन्नप्राशन मुहूर्त 2020 - यहाँ वर्ष 2020 के अन्नप्राशन्न मुहूर्त की सूची दी गयी है। आप अपनी सुविधा के अनुसार अपनी संतान का अन्नप्राशन्न संस्कार करने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।
दिनाँक | दिन | मास-तिथि | नक्षत्र | अन्नप्राशन मुहूर्त की समयावधि |
2 जनवरी 2020 | गुरुवार | पौष शु. सप्तमी | पूर्वाभाद्रपद | 07:14-12:44 बजे तक |
8 जनवरी 2020 | बुधवार | पौष शु. त्रयोदशी | रोहिणी | 07:15-13:56 बजे तक |
27 जनवरी 2020 | सोमवार | माघ शु. तृतीया | शतभिषा | 07:12-14:37 बजे तक |
29 जनवरी 2020 | बुधवार | माघ शु. चतुर्थी | पूर्वाभाद्रपद | 12:13-14:29 बजे तक |
30 जनवरी 2020 | गुरुवार | माघ शु. पंचमी | उत्तराभाद्रपद | 07:11-13:20 बजे तक |
7 फरवरी 2020 | शुक्रवार | माघ शु. त्रयोदशी | पुनर्वसु | 07:06-13:53 बजे तक |
26 फरवरी 2020 | बुधवार | फाल्गुन शु. तृतीया | उत्तराभाद्रपद | 06:50-14:53 बजे तक |
28 फरवरी 2020 | शुक्रवार | फाल्गुन शु. पंचमी | अश्विनी | 06:48-14:45 बजे तक |
5 मार्च 2020 | गुरुवार | फाल्गुन शु. दशमी | आर्द्रा | 11:26-13:19 बजे तक |
26 मार्च 2020 | गुरुवार | चैत्र शु, द्वितीया | रेवती | 06:18-15:20 बजे तक |
3 अप्रैल 2020 | शुक्रवार | चैत्र शु. दशमी | पुष्य | 06:09-13:58 बजे तक |
6 अप्रैल 2020 | सोमवार | चैत्र शु. त्रयोदशी | पूर्वाफाल्गुनी | 12:16-14:36 बजे तक |
8 अप्रैल 2020 | बुधवार | पूर्णिमा | हस्त | 06:03-08:05 बजे तक |
30 अप्रैल 2020 | गुरुवार | वैशाख शु. सप्तमी | पुष्य | 05:41-14:39 बजे तक |
25 मई 2020 | सोमवार | ज्येष्ठ शु. तृतीया | मृगशिरा | 05:26-05:54 बजे तक |
27 मई 2020 | बुधवार | ज्येष्ठ शु. पंचमी | पुनर्वसु | 05:25-15:49 बजे तक |
1 जून 2020 | सोमवार | ज्येष्ठ शु. दशमी | हस्त | 05:24-13:16 बजे तक |
5 जून 2020 | शुक्रवार | पूर्णिमा | अनुराधा | 13:56-15:14 बजे तक |
22 जून 2020 | सोमवार | आषाढ़ शु. प्रतिपदा | आर्द्रा | 13:31-16:27 बजे तक |
24 जून 2020 | बुधवार | आषाढ़ शु. तृतीया | पुष्य | 05:25-10:14 बजे तक |
27 जुलाई 2020 | सोमवार | श्रावण शु. सप्तमी | चित्रा | 05:40-07:10 बजे तक |
29 जुलाई 2020 | बुधवार | श्रावण शु. दशमी | विशाखा | 08:33-15:34 बजे तक |
03 अगस्त 2020 | सोमवार | पूर्णिमा | उत्तराषाढ़ा | 09:26-16:00 बजे तक |
21 अगस्त 2020 | शुक्रवार | भाद्रपद शु. तृतीया | उत्तराफाल्गुनी | 05:54-14:00 बजे तक |
27 अगस्त 2020 | गुरुवार | भाद्रपद शु. नवमी | ज्येष्ठा | 12:37-14:26 बजे तक |
28 अगस्त 2020 | शुक्रवार | भाद्रपद शु. दशमी | मूल | 05:57-08:39 बजे तक |
31 अगस्त 2020 | सोमवार | भाद्रपद शु. त्रयोदशी | श्रवण | 05:59-08:49 बजे तक |
2 सितंबर 2020 | बुधवार | पूर्णिमा | शतभिषा | 06:00-10:52 बजे तक |
18 सितंबर 2020 | शुक्रवार | आश्विन शु. प्रतिपदा | उ.फाल्गुनी | 12:51-15:03 बजे तक |
19 अक्टूबर 2020 | सोमवार | आश्विन शु. तृतीया | अनुराधा | 06:26-06:49 बजे तक |
21 अक्टूबर 2020 | बुधवार | आश्विन शु. पंचमी | मूल | 06:27-06:57 बजे तक |
23 अक्टूबर 2020 | शुक्रवार | आश्विन शु. सप्तमी | उत्तराषाढ़ा | 06:29-06:57 बजे तक |
26 अक्टूबर 2020 | सोमवार | आश्विन शु. दशमी | शतभिषा | 06:29-09:00 बजे तक |
29 अक्टूबर 2020 | गुरुवार | आश्विन शु. त्रयोदशी | उत्तराभाद्रपद | 06:31-14:04 बजे तक |
16 नवंबर 2020 | सोमवार | कार्तिक शु. प्रतिपदा | अनुराधा | 07:07-12:54 बजे तक |
19 नवंबर 2020 | गुरुवार | कार्तिक शु. पंचमी | पूर्वषाढ़ा | 09:38-12:42 बजे तक |
27 नवंबर 2020 | शुक्रवार | कार्तिक शु. द्वादशी | अश्विनी | 08:28-13:38 बजे तक |
30 नवंबर 2020 | सोमवार | कार्तिक पूर्णिमा | रोहिणी | 06:56-13:26 बजे तक |
17 दिसंबर 2020 | गुरुवार | मार्गशीर्ष शु. तृतीया | उत्तराषाढ़ा | 07:08-13:44 बजे तक |
24 दिसंबर 2020 | गुरुवार | मार्गशीर्ष शु. दशमी | अश्विनी | 07:11-13:17 बजे तक |
अन्नप्राशन मुहूर्त 2020 के माध्यम से जानते हैं क्या होता है अन्नप्राशन संस्कार। अन्नप्राशन, हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है। इस संस्कार के तहत पहली बार किसी बच्चे को अन्न खिलाया जाता है। हम जानते हैं कि अन्न का महत्व हमारे जीवन में कितना बड़ा है। बिना अन्न-जल के जीवन संभव नहीं है। अन्न से हमें ऊर्जा मिलती है। जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो वह भोजन के लिए अपनी माँ के दूध पर ही निर्भर होता है। लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता है फिर माँ के दूध को त्यागकर अन्न ग्रहण करने लगता है। हिन्दू संस्कृति में जब बच्चा पहली बार भोजन ग्रहण करता है तो इस व्यवस्था को अन्नप्राशन संस्कार कहा जाता है। सामान्य रूप से यह संस्कार बच्चे के जन्म के छह माह के बाद होता है।
अन्नप्राशन दो, शब्दों के योग से मिलकर बना है। इसमें पहला अन्न है जिसका अर्थ अनाज से है जबकि दूसरा शब्द प्राशन है, जिसका अर्थ प्रक्रिया से है। यानि किसी शिशु को प्रथम बार अन्न खिलाने की परंपरा। भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस संस्कार को भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है। जैसे- पश्चिम बंगाल- मुखेभात, केरल में चोरुनु और उत्तराखंड में भातखुलाई आदि।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2020 के माध्यम से जानते हैं संस्कार का महत्व। हिन्दू धर्म में किए जाने वाले 16 संस्कार यूँ ही नहीं किए जाते हैं, बल्कि इनके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और तार्किक बातें जुड़ी होती हैं। शिशु का अन्नप्राशन संस्कार के पीछे भी तर्कसंगत बातें भी जुड़ी हैं। यह संस्कार शिशु के अच्छे स्वास्थ्य और उचित पोषण के निमित्त किया जाता है। दरअसल, जब शिशु अपनी माँ के गर्भ में होता है तो उसके शरीर में दूषित भोजन के कण चले जाते हैं। जब उस शिशु का अन्नप्राशन संस्कार होता है तो उसके शरीर में शुद्ध भोजन पहुँचता है। इस संस्कार के जरिए बालक बलशाली और तेजस्वी बनता है। शिशु के जन्म के छह महीने बाद उसके मुख में दाँत आने लगते हैं। शिशु की पाचन क्रिया भी मजबूत होने लगते हैं। जब उस शिशु के शरीर में अन्न पहुँचता है तो उसके शरीर और मन का विकास होने लगता है।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2020 के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं कि अन्नप्राशन संस्कार की आवश्यकता क्यों होती है। सदा से हिन्दू परंपरा रही है कि जब कोई भी शुभ कार्य किया जाता है तो उस विशेष कार्य के लिए एक निश्चित शुभ समय निर्धारित किया जाता है। यही शुभ समय मुहूर्त या शुभ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से कार्य में सफलता प्राप्त होता है। जिस उद्देश्य के लिए कार्य किया जाता है वह पूरा होता है। चूंकि अन्नप्राशन्न संस्कार एक शुभ कार्य है। अतः इस संस्कार के लिए भी मूहूर्त की आवश्यकता होती है।
अन्नप्राशन मुहूर्त का मतलब है कि वह शुभ समय जिसमें किसी बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार संपन्न किया जाए। अन्नप्राशन्न मुहूर्त के लिए वैदिक पंचांग में तिथि, वार शुभ ग्रह, नक्षत्र आदि का विचार किया जाता है। इसलिए तो यह संस्कार पंडितों से कराया जाता है अथवा उनसे परामर्श लिया जाता है। हालाँकि कुछ लोग अपनी कुल परंपरा के अनुसार अपने बच्चे का अन्नप्राशन्न संस्कार करते हैं।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2020 की गणना किस प्रकार से की गई। किसी भी अच्छे कार्य के लिए मुहूर्त पंचांग को ही देखकर निकाला जाता है। लेकिन अन्नप्राशन मुहूर्त के लिए पहले बच्चे की कुंडली को देखा जाता है। इसमें ग्रह की चाल एवं नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता है तत्पश्चात् ही अन्नप्राशन मुहूर्त को निर्धारित किया जाता है। मुहूर्त को निर्धारित करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखा जाता है -
अन्नप्राशन मुहूर्त 2020 में किया जाने वाला अन्नप्राशन संस्कार लिंगानुसार (बालक और बालिका) किया जाता है। यदि शिशु बालक है तो उसका अन्नप्राशन संस्कार जन्म के सम माह 6 या 8वें महीने बाद किया जाना चाहिए। जबकि शिशु बालिका है तो उसका संस्कार विषम माह में 5 या फिर 7वें माह किया जाता है। अन्नप्रासन संस्कार में बच्चों को चावल की खीर खिलायी जाती है। यह संस्कार विधिवत तरीके से या तो घर या फिर किसी मंदिर में किया जाता है।
हम आशा करते हैं कि अन्नप्राशन मुहूर्त 2020 से संबंधित यह लेख आपके लिए कारगर साबित होगा। हमारी वेबसाइट विजिट करने के लिए आपका धन्यवाद!
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