हमारे इस पेज की मदद से जानिए हिन्दू पंचांग के अनुसार आज की तिथि (Aaj Ki Tithi) क्या है? यहाँ दी जा रही तिथि Delhi के अनुसार दी गयी है। दिन के अलग-अलग समय पर और देश के अलग-अलग जगहों के अनुसार यह तिथि अलग-अलग भी हो सकती है।
Tuesday, November 25, 2025
| तिथि | पंचमी |
| पक्ष | शुक्ल |
| नक्षत्र | उ0षाढा |
| योग | गण्ड |
| करण | भाव |
| दिन | मंगलवार |
जब बात पंचांग की होती है तो तिथि उसका सबसे महत्वपूर्ण अंग माना गया है। सरल शब्दों में समझाएं तो तिथि हिन्दू चंद्रमास के एक दिन को कहा गया है। इन तिथियों के अनुसार ही वार, त्यौहार, व्रत, जयंती, पुण्यतिथि आदि की गणना की जाती है।
आज की तिथि (Aaj Ki Tithi) जानने से पहले यह जानना बेहद ज़रूरी होता है कि, एक महीने में कुल 30 तिथियाँ होती हैं। जिनमें से अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि प्रत्येक माह में एक बार आती है और अन्य तिथियाँ दो बार आती हैं। माह की पहली पंद्रह तिथियाँ शुक्ल पक्ष में आती हैं और आखिरी पंद्रह तिथियाँ कृष्ण पक्ष में आती हैं।
दरअसल जब चंद्रमा सूर्य से 12 डिग्री पर स्थित होता है तब एक तिथि को पूर्ण माना जाता है।
सवाल उठता है कि, पंचांग में आखिर आज की तिथि को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है? इसका जवाब है कि, हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले उसके लिए शुभ मुहूर्त की गणना की जाती है। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में यदि कोई शुभ या मांगलिक कार्य किया जाये तो वो ज्यादा फलित होता है। यह शुभ मुहूर्त तिथि के अनुसार ही जाना जाता है और इसलिए ही पंचांग में तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि यह तिथियाँ शुभ भी होती हैं और अशुभ भी।
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि एक माह में कुल 30 तिथियाँ होती हैं। इनमें जहाँ पूर्णिमा और अमावस्या तिथि माह में एक-एक बार आती हैं वहीं अन्य सभी तिथियाँ दो-दो बार आती हैं। आइये अब जान लेते हैं इन सभी तिथियों के नाम:
प्रथम/प्रतिपदा तिथि: अग्नि देव के आधिपत्य वाली यह तिथि सभी शुभ और मांगलिक कामों के लिए बेहद शुभ मानी जाती है।
द्वितीया तिथि: ब्रह्मा देव के आधिपत्य वाली यह तिथि नई बिल्डिंग या ईमारत की नींव रखने के लिए बेहद उपयुक्त होती है।
तृतीया तिथि: गौरी देवी के आधिपत्य वाली यह तिथि मुंडन जैसे शुभ कार्यों के लिए बेहद फलदाई मानी गयी है।
चतुर्थी तिथि: यमदेव और भगवान गणेश के आधिपत्य वाली यह तिथि शत्रु नाश और बाधाओं से पार पाने के लिए बेहद शानदार मानी गयी है।
पंचमी तिथि: नाग देवता के आधिपत्य वाली यह तिथि किसी भी तरह की चिकित्सकीय सलाह के लिए उपयुक्त होती है।
षष्ठी तिथि: कार्तिकेय देव के आधिपत्य वाली यह तिथि विशेष अवसरों के लिए बेहद शुभ मानी गयी है।
सप्तमी तिथि: सूर्यदेव के आधिपत्य वाली यह तिथि किसी यात्रा की शुरुआत और किसी सामान की खरीद के लिए बेहद उपयुक्त मानी गयी है।
अष्टमी तिथि: भगवान शिव को समर्पित इस तिथि को जीत और सफलता से जोड़कर देखा जाता है।
नवमी तिथि: देवी अंबिका के आधिपत्य वाली यह तिथि समारोह और यात्रा के लिहाज़ से बेहद ही शुभ मानी गयी है।
दशमी तिथि: स्वामी धर्मराज को समर्पित इस तिथि का विशेष महत्व पवित्र कामों, धार्मिक कामों और पुण्य कामों से जोड़कर देखा जाता है।
एकादशी तिथि: महादेव के आधिपत्य वाली इस तिथि का हिन्दू और जैन धर्म में विशेष महत्व माना गया है।
द्वादशी तिथि: भगवान विष्णु के आधिपत्य वाली यह तिथि किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान के लिए बेहद ही शुभ मानी गयी है।
त्रयोदशी तिथि: काम्देवता के आधिपत्य वाली यह तिथि कामुक सुख और उत्सव आदि के लिहाज़ से बेहद ही शुभ मानी गयी है।
चतुर्दशी तिथि: देवी काली के आधिपत्य वाली यह तिथि प्रेत और शत्रु बाधा दूर करने के लिए उत्तम मानी जाती है।
पूर्णिमा तिथि: इस तिथि पर चन्द्रमा का आधिपत्य होता है और इसे व्रत और यज्ञ के लिए बेहद ही शुभ माना गया है।
अमावस्या तिथि: यह तिथि पितृ देवों के लिए उपयुक्त मानी गयी है। ऐसे में इस दिन पितरों के लिए तर्पण, दान आदि का विशेष महत्व होता है।
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