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विद्यारंभ मुहूर्त 2022 तिथियां | Vidyarambh Muhurat 2022 Dates & Timings

Author: -- | Last Updated: Fri 17 Sep 2021 10:23:53 AM

विद्यारंभ मुहूर्त 2022 (Vidyarambh Muhurat 2022 In Hindi) का यह लेख आपको साल 2022 में विद्यारंभ संस्कार कराने की शुभ तिथियों और शुभ समय की संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही हम आपको बताएंगे विद्यारंभ संस्कार का महत्व, विद्यारंभ मुहूर्त 2022 तिथियां की गणना करते समय ध्यान रखने योग्य बातें, 2022 में विद्यारंभ संस्कार करते समय बरती जाने वाली सावधानियां और भी बहुत सी खास बातें -

Vidyarambham Muhurat 2022 Dates

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विद्यारंभ मुहूर्त 2022

विद्या एक इंसान को अच्छे और बुरे की समझ के साथ-साथ जीवन जीने के तरीके और सामाजिक व्यवहार की जानकारी भी प्रदान करता है। जिस प्रकार एक व्यक्ति के लिए रोटी, कपड़ा और मकान ज़रूरी होता है, उसी प्रकार शिक्षा भी व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व रखता है। हिन्दू धर्म में हर विशेष कार्य को करने के लिए एक निश्चित मुहूर्त निर्धारित करते हैं, ताकि उस कार्य में व्यक्ति को उचित लाभ मिल सके। इसीलिए जब एक बच्चा शब्दों को और जीवन को अच्छी तरह से जीने के लिए महत्वपूर्ण चीज़ों को जानने योग्य होता है, तो एक शुभ घड़ी में विद्या आरम्भ करने का संस्कार किया जाता है, जिसे विद्यारंभ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है।

पहले के समय में बच्चा जब पांच साल का हो जाता था, तब उसका विद्यारंभ संस्कार करवाते थे, लेकिन आजकल 3-4 साल की उम्र तक पहुंचते ही माता-पिता बच्चे को शिक्षा देना शुरू कर देते हैं। देखा जाए तो उम्र बस एक संख्या है, सही मुहूर्त पर एक बच्चे का विद्यारंभ संस्कार करा देने से उसका भविष्य सुनहरा हो जाता है। विद्या से बच्चों को विवेक की प्राप्ति होती है जिसकी मदद से जीवन में चाहे कोई भी बाधा क्यों न आ जाये वह उसे आसानी से पार कर लेता है।

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विद्यारंभ मुहूर्त 2022 की सूची- Vidyarambh Muhurat 2022 Dates

नीचे दी गयी सूची में आपको विद्यारंभ मुहूर्त 2022 शुभ तिथियां और समय के बारे में सूचित किया जा रहा है। साल 2022 में विद्यारंभ संस्कार करने के लिए हर महीने की शुभ तिथि, शुभ दिन और शुभ समय की जानकारी दी जा रही है-

विद्यारंभ मुहूर्त 2022: जनवरी
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
14 जनवरी शुक्रवार 14:29 से 20:01 तक
19 जनवरी बुधवार 07:15 से 19:33 तक
20 जनवरी गुरुवार 07:14 से 08:24 तक
23 जनवरी रविवार 07:14 से 19:25 तक
24 जनवरी सोमवार 07:13 से 08:44 तक
27 जनवरी गुरुवार 08:51 से 15:29 तक
विद्यारंभ मुहूर्त 2022: फरवरी
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
02 फरवरी बुधवार 08:31 से 18:46 तक
03 फरवरी गुरुवार 10:37 से 18:42 तक
06 फरवरी रविवार 07:07 से 18:30 तक
10 फरवरी गुरुवार 11:08 से 18:15 तक
13 फरवरी रविवार 07:02 से 18:42 तक
18 फरवरी शुक्रवार 06:57 से 18:30 तक
21 फरवरी सोमवार 06:55 से 19:49 तक
25 फरवरी शुक्रवार 12:58 से 19:33 तक
27 फरवरी रविवार 17:38 से 18:58 तक
विद्यारंभ मुहूर्त 2022: मार्च
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
04 मार्च शुक्रवार 06:44 से 19:05 तक
13 मार्च रविवार 06:34 से 18:30 तक
14 मार्च सोमवार 12:06 से 20:42 तक
विद्यारंभ मुहूर्त 2022: अप्रैल
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
21 अप्रैल गुरुवार 05:50 से 20:33 तक
22 अप्रैल शुक्रवार 05:49 से 08:43 तक
25 अप्रैल सोमवार 05:46 से 14:13 तक
27 अप्रैल बुधवार 05:44 से 17:36 तक
विद्यारंभ मुहूर्त 2022: मई
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
04 मई बुधवार 05:38 से 07:33 तक
05 मई गुरुवार 10:01 से 19:37 तक
06 मई शुक्रवार 05:37 से 19:06 तक
11 मई बुधवार 05:33 से 19:14 तक
12 मई गुरुवार 05:33 से 19:10 तक
13 मई शुक्रवार 05:32 से 17:27 तक
18 मई बुधवार 08:09 से 13:18 तक
20 मई शुक्रवार 05:28 से 20:57 तक
25 मई बुधवार 10:33 से 20:37 तक
26 मई गुरुवार 05:25 से 20:33 तक
27 मई शुक्रवार 05:25 से 11:48 तक
विद्यारंभ मुहूर्त 2022: जून
दिनांक वार मुहूर्त की समयावधि
01 जून बुधवार 05:24 से 20:10 तक
02 जून गुरुवार 05:24 से 20:06 तक
05 जून रविवार 07:55 से 19:54 तक
10 जून शुक्रवार 05:23 से 18:42 तक
15 जून बुधवार 13:32 से 21:19 तक
16 जून गुरुवार 05:23 से 19:56 तक
19 जून रविवार 05:24 से 21:03 तक

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विद्यारंभ मुहूर्त 2022 का महत्व

हिन्दू धर्म में सभी संस्कारों का अपना अलग और विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में विद्यारंभ संस्कार को बहुत ही महत्वपूर्ण व्यवस्था मानते हैं, क्योंकि यह संस्कार धार्मिक, आध्यात्मिक और सांसारिक ज्ञान को पाने और समझने का पहला चरण है। यह संस्कार को करने के पीछे का मुख्य उदेश्य होता है बच्चे के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करना। क्योंकि इन गुणों की मदद से वह बड़ा होकर अपनी ज़िम्मेदारी का ईमानदारी और पूरी निष्ठां से पालन कर सके। हर शुभ कार्य की तरह ही विद्यारंभ करने के लिए भी शुभ मुहूर्त और सही उम्र का होना बेहद ज़रूरी होता है।

विद्यारंभ संस्कार का सीधा अर्थ होता है, बच्चे को शिक्षा के प्रारंभिक स्तर से परिचित कराना। हम सभी जानते हैं कि विद्या यानी शिक्षा के माध्यम से इंसान एक खुशहाल जीवन जीता है और समाज में अपनी पहचान बनाता है। धरती के सारे जीवों में इंसान को विद्या ही सर्वश्रेष्ठ बनाती है। इसीलिए विद्यारंभ संस्कार के समय एक निश्चित मुहूर्त पर विशेष पूजा की जाती है। और हम सभी जानते हैं कि किसी भी पूजा-पाठ को यदि शुभ मुहूर्त में किया जाए तो उसका विशेष फल जातक को मिलता है, लेकिन वहीं यदि गलत समय पर किसी संस्कार को किया जाए, तो उसका नकारात्मक प्रभाव भी कभी-कभी झेलना पड़ जाता है। इसलिए लोग ज्योतिषी या पंडित की मदद से शुभ विद्यारंभ मुहूर्त 2022 शुभ तिथियां के बारे में जानकारी लेकर इस संस्कार को संपन्न करते हैं।

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2022 में विद्यारंभ मुहूर्त की गणना के समय ध्यान रखने योग्य बातें

विद्यारंभ संस्कार का एक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व रखता है, इसलिए इस संस्कार को करने से पहले लोग शुभ मुहूर्त निकलवाते हैं। वह मुहूर्त संस्कार किये जाने वाले बच्चे की कुंडली के साथ-साथ तिथि, नक्षत्र, राशि और वार आदि को भी ध्यान में रखकर निकालते हैं। चलिए आपको बताते हैं 2022 में विद्यारंभ मुहूर्त निकालते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए -

शुभ फलदायक मुहूर्त - सबसे पहले अगर विद्यारंभ मुहूर्त के लिए शुभ दिनों की बात करें तो सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार और रविवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। वहीँ पंचांग के अनुसार इस संस्कार को संपन्न करने के लिए शुभ नक्षत्रों में रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, अश्विनी, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा, चित्रा, स्वाति, अभिजीत, धनिष्ठा, श्रवण, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और शतभिषा, हस्त, मूल, रेवती और पूर्वाषाढ़ा आते हैं। अगर शुभ लग्न पर नज़र डालें तो वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, और धनु लग्न बेहद उत्तम फल प्रदान करते हैं। मुहूर्त के चयन के समय तिथि की जब गणना करें तो माघ शुक्ल की सप्तमी, फाल्गुन शुक्ल की तृतीया और चैत्र-वैशाख की शुक्ल तृतीया का ही चयन करें, क्योंकि ये विद्यारंभ संस्कार 2022 तिथियां बहुत सौभाग्यशाली मानी जाती हैं।

अशुभ फलदायक मुहूर्त - कुछ विशेष परिस्थितियों में विद्यारंभ संस्कार बिलकुल नहीं किया जाना चाहिए, जैसे- इस संस्कार को चतुर्दशी, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी तिथि और सूर्य संक्रांति के दिन करना अशुभ फलदायक माना गया है। इसके अलावा पौष, माघ, फाल्गुन मे आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भी यह संस्कार बिलकुल ना करें। साथ ही चंद्र दोष और तारा दोष के समय भी विद्यारंभ संस्कार करना वर्जित होता है।

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2022 विद्यारंभ संस्कार की विधि

विद्यारंभ संस्कार सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। हिन्दू धर्म में किसी भी संस्कार को करने के लिए एक विशेष पूजा विधि बताई गई है, ताकि उससे होने वाले लाभ व्यक्ति को मिल सके। तो आइये आपको बताते हैं विद्यारंभ संस्कार करने की संपूर्ण विधि-

इस संस्कार में होने वाली पूजा को करने से पहले बालक/बालिका अच्छे से स्नान कर के साफ वस्त्र पहन ले। बच्चे के साथ-साथ माता पिता भी स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें। विद्यारम्भ संस्कार को शुरू करने के लिए सबसे पहले हिंदू धर्म में बुद्धि के देवता और प्रथम पूज्य गणेश जी की वंदना करें और बालक को हाथ में अक्षत, रोली और फूल देकर नीचे दिए गए मंत्र को पढ़ते हुए गणपति के चित्र या प्रतिमा के सामने अर्पित करा दें।

ॐ गणानां त्वा गणपति हवामहे, प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति हवामहे, वसोमम।
आहमजानि गभर्धमात्वमजासि गभर्धम्। ॐ गणपतये नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥

अब इसके बाद विद्या की देवी कही जाने वाली माँ सरस्वती का ध्यान करें नीचे दिए गए मंत्र को पढ़ते हुए पूजा प्रारंभ करें।

ॐ पावका नः सरस्वती, वाजेभिवार्जिनीवती। यज्ञं वष्टुधियावसुः।
ॐ सरस्वत्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।

सरस्वती माता की पूजा के बाद गुरु पूजा करें। यदि किसी कारणवश वहां गुरु उपस्थित न हो, तो नारियल को गुरु का प्रतीक मानकर पूजा करें और नीचे दिए गए मंत्र को पढ़ें।

ॐ बृहस्पते अति यदयोर्ऽ, अहार्द्द्युमद्विभाति क्रतुमज्ज्ानेषु, यद्दीदयच्छवसऽ ऋतप्रजात, तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।
उपयामगृहीतोऽसि बृहस्पतये, त्वैष ते योनिबृर्हस्पतये त्वा॥ ॐ श्री गुरवे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।

इसके बाद इस संस्कार में शिक्षा प्राप्ति के लिए आवश्यक चीजें जैसे कलम, दवात, पट्टी आदि की भी विधि पूर्वक पूजा करें। सबसे पहले पट्टी पूजा करते समय नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए बच्चे से पट्टी पर पूजा की सामग्री अर्पित कराएं।

ॐ सरस्वती योन्यां गर्भमन्तरश्विभ्यां, पतनी सुकृतं बिभर्ति।
अपारसेन वरुणो न साम्नेन्द्र, श्रियै जनयन्नप्सु राजा॥

अब बालक/बालिका के हाथ में लेखनी दे और पूजा स्थल पर मौजूद माता-पिता की मदद से बच्चे से कॉपी पर नीचे दिए गए मंत्र को श्रद्धापूवर्क पढ़ते हुए कुछ लिखवाएं।

ॐ पुरुदस्मो विषुरूपऽ इन्दुः अन्तमर्हिमानमानंजधीरः।
एकपदीं द्विपदीं त्रिपदीं चतुष्पदीम्, अष्टापदीं भ्ाुवनानु प्रथन्ता स्वाहा।

विद्यारंभ संस्कार की पूजा में सबसे अंतिम भाग में हवन करें। ध्यान रहे कि हवन की सामग्री में कोई मिठाई ज़रूर मिला लें। नीचे दिए गए मंत्र का पांच बार उच्चारण करते हुए बच्चे से पांच आहुतियां हवन कुंड में डलवा दें।

“ॐ सरस्वती मनसा पेशलं, वसु नासत्याभ्यां वयति दशर्तं वपुः।


रसं परिस्रुता न रोहितं, नग्नहुधीर्रस्तसरं न वेम स्वाहा। इदं सरस्वत्यै इदं न मम।”

आहुति हो जाने के बाद आशीर्वचन, विसर्जन और जयघोष करें। अंत में प्रसाद वितरण करने के बाद पूजा का समापन करें।

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उम्मीद है कि इस लेख में विद्यारंभ मुहूर्त 2022 के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी। एस्ट्रोकैंप से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद !

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