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गृह प्रवेश मुहूर्त 2019

Author: - | Last Updated: Tue 13 Nov 2018 2:23:35 PM

यहाँ पढ़ें साल 2019 में गृह प्रवेश के लिए कौन सा दिन, तारीख और मुहूर्त रहेगा शुभ। इसके अलावा हम आपको बताने जा रहे हैं कि गृह प्रवेश के दौरान किन बातों का रखना चाहिए ख़ास ख्याल।

गृह प्रवेश मुहूर्त 2019

गृह प्रवेश मुहूर्त 2019
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
21 जनवरी 2019 सोमवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 10:46 - 26:27 बजे तक
24 जनवरी 2019 गुरुवार चतुर्थी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 20:54 - 31:13 बजे तक
25 जनवरी 2019 शुक्रवार पंचमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 07:13 - 16:25 बजे तक
26 जनवरी 2019 शनिवार षष्ठी हस्ता नक्षत्र में 15:04 - 31:12 बजे तक
28 जनवरी 2019 सोमवार अष्टमी स्वाति नक्षत्र में 07:12 - 14:28 बजे तक
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 15:38 - 16:40 बजे तक
06 फरवरी 2019 बुधवार द्वितीया धनिष्ठा नक्षत्र में 07:07 - 31:06 बजे तक
07 फरवरी 2019 गुरुवार द्वितीया शतभिषा नक्षत्र में 07:06 - 12:09 बजे तक
09 फरवरी 2019 शनिवार चतुर्थी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 12:26 - 31:04 बजे तक
15 फरवरी 2019 शुक्रवार दशमी मृगशिरा नक्षत्र में 07:27 - 20:52 बजे तक
20 फरवरी 2019 बुधवार प्रतिपदा मघा नक्षत्र में 29:04 - 30:55 बजे तक
21 फरवरी 2019 गुरुवार द्वितीया उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 06:55 - 23:11 बजे तक
23 फरवरी 2019 शनिवार चतुर्थी चित्रा नक्षत्र में 08:11 - 30:52 बजे तक
25 फरवरी 2019 सोमवार सप्तमी विशाखा नक्षत्र में 22:08 - 30:50 बजे तक
02 मार्च 2019 शनिवार एकादशी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 11:30 - 30:45 बजे तक
04 मार्च 2019 सोमवार त्रयोदशी श्रवण नक्षत्र में 12:10 - 16:29 बजे तक
07 मार्च 2019 गुरुवार प्रतिपदा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 20:54 - 30:40 बजे तक
08 मार्च 2019 शुक्रवार द्वितीया उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:40 - 30:38 बजे तक
09 मार्च 2019 शनिवार तृतीया रेवती नक्षत्र में 06:38 - 21:39 बजे तक
13 मार्च 2019 बुधवार सप्तमी रोहिणी नक्षत्र में 06:34 - 28:23 बजे तक
16 मार्च 2019 शनिवार दशमी पुनर्वसु नक्षत्र में 26:13 - 28:31 बजे तक
20 मार्च 2019 बुधवार चतुर्दशी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 20:58 - 30:25 बजे तक
21 मार्च 2019 गुरुवार पूर्णिमा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 06:25 - 07:13 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 16:42 - 29:51 बजे तक
20 अप्रैल 2019 शनिवार प्रतिपदा स्वाति नक्षत्र में 05:51 - 17:58 बजे तक
25 अप्रैल 2019 गुरुवार षष्ठी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 25:39 - 29:45 बजे तक
26 अप्रैल 2019 शुक्रवार सप्तमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:45 - 23:14 बजे तक
29 अप्रैल 2019 सोमवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 08:02 - 29:42 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:42 - 27:21 बजे तक
06 मई 2019 सोमवार द्वितीया रोहिणी नक्षत्र में 16:36 - 29:36 बजे तक
10 मई 2019 शुक्रवार षष्ठी पुनर्वसु नक्षत्र में 14:21 - 29:33 बजे तक
11 मई 2019 शनिवार सप्तमी पुष्य नक्षत्र में 05:33 - 13:13 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी चित्रा नक्षत्र में 05:42 - 20:20 बजे तक
18 मई 2019 शनिवार पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में 26:22 - 26:41 बजे तक
23 मई 2019 गुरुवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:27 - 23:48 बजे तक
25 मई 2019 शनिवार सप्तमी श्रवण नक्षत्र में 19:36 - 23:43 बजे तक
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 15:21 - 28:04 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 22:15 बजे तक
03 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र में 15:32 - 26:48 बजे तक
07 जून 2019 शुक्रवार चतुर्थी पुष्य नक्षत्र में 07:38 - 18:56 बजे तक
10 जून 2019 सोमवार अष्टमी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 14:21 - 22:24 बजे तक
12 जून 2019 बुधवार दशमी चित्रा नक्षत्र में 11:51 - 27:37 बजे तक
13 जून 2019 गुरुवार एकादशी चित्रा नक्षत्र में 16:49 - 28:07 बजे तक
14 जून 2019 शुक्रवार द्वादशी स्वाति नक्षत्र में 05:23 - 10:16 बजे तक
18 जुलाई 2019 गुरुवार द्वितीया श्रवण नक्षत्र में 25:34 - 29:35 बजे तक
19 जुलाई 2019 शुक्रवार द्वितीया धनिष्ठा नक्षत्र में 05:35 - 20:03 बजे तक
22 जुलाई 2019 सोमवार पंचमी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 10:24 - 29:37 बजे तक
24 जुलाई 2019 बुधवार सप्तमी रेवती नक्षत्र में 05:38 - 14:54 बजे तक
27 जुलाई 2019 शनिवार दशमी कृतिका नक्षत्र में 19:46 - 28:45 बजे तक
29 जुलाई 2019 सोमवार द्वादशी मृगशिरा नक्षत्र में 08:00 - 18:22 बजे तक
01 अगस्त 2019 गुरुवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 08:42 - 12:11 बजे तक
05 अगस्त 2019 सोमवार पंचमी हस्ता नक्षत्र में 23:47 - 29:45 बजे तक
07 अगस्त 2019 बुधवार सप्तमी स्वाति नक्षत्र में 05:46 - 11:41 बजे तक
09 अगस्त 2019 शुक्रवार नवमी अनुराधा नक्षत्र में 10:00 - 21:58 बजे तक
12 अगस्त 2019 सोमवार द्वादशी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 26:51 - 29:49 बजे तक
15 अगस्त 2019 गुरुवार पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र में 08:02 - 15:59 बजे तक
14 अक्टूबर 2019 सोमवार प्रतिपदा रेवती नक्षत्र में 06:21 - 09:32 बजे तक
18 अक्टूबर 2019 शुक्रवार चतुर्थी रोहिणी नक्षत्र में 07:29 - 27:22 बजे तक
19 अक्टूबर 2019 शनिवार पंचमी मृगशिरा नक्षत्र में 14:45 - 17:40 बजे तक
21 अक्टूबर 2019 सोमवार सप्तमी पुनर्वसु नक्षत्र में 17:32 - 29:25 बजे तक
25 अक्टूबर 2019 शुक्रवार द्वादशी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 11:00 - 30:03 बजे तक
28 अक्टूबर 2019 सोमवार पूर्णिमा स्वाति नक्षत्र में 09:08 - 25:00 बजे तक
30 अक्टूबर 2019 बुधवार तृतीया अनुराधा नक्षत्र में 06:32 - 21:59 बजे तक
02 नवंबर 2019 शनिवार षष्ठी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 23:01 - 30:23 बजे तक
04 नवंबर 2019 सोमवार अष्टमी श्रवण नक्षत्र में 27:23 - 28:57 बजे तक
06 नवंबर 2019 बुधवार नवमी धनिष्ठा नक्षत्र में 07:21 - 30:37 बजे तक
07 नवंबर 2019 गुरुवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 06:37 - 08:41 बजे तक
08 नवंबर 2019 शुक्रवार एकादशी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 12:24 - 30:39 बजे तक
09 नवंबर 2019 शनिवार द्वादशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:39 - 30:40 बजे तक
13 नवंबर 2019 बुधवार प्रतिपदा कृतिका नक्षत्र में 22:00 - 30:43 बजे तक
14 नवंबर 2019 गुरुवार द्वितीया रोहिणी नक्षत्र में 06:43 - 30:44 बजे तक
15 नवंबर 2019 शुक्रवार तृतीया मृगशिरा नक्षत्र में 06:44 - 07:53 बजे तक
18 नवंबर 2019 सोमवार षष्ठी पुष्य नक्षत्र में 06:46 - 17:10 बजे तक
21 नवंबर 2019 गुरुवार दशमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 18:29 - 22:17 बजे तक
22 नवंबर 2019 शुक्रवार एकादशी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 09:01 - 16:41 बजे तक
23 नवंबर 2019 शनिवार द्वादशी हस्ता नक्षत्र में 14:44 - 30:51 बजे तक
27 नवंबर 2019 बुधवार प्रतिपदा अनुराधा नक्षत्र में 06:53 - 08:12 बजे तक
30 नवंबर 2019 शनिवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 18:05 - 23:14 बजे तक
02 दिसंबर 2019 सोमवार षष्ठी श्रवण नक्षत्र में 11:43 - 30:58 बजे तक
04 दिसंबर 2019 बुधवार अष्टमी शतभिषा नक्षत्र में 12:28 - 17:09 बजे तक
05 दिसंबर 2019 गुरुवार नवमी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 28:15 - 31:00 बजे तक
06 दिसंबर 2019 शुक्रवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 07:00 - 16:30 बजे तक
07 दिसंबर 2019 शनिवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 17:03 - 19:35 बजे तक
11 दिसंबर 2019 बुधवार चतुर्दशी कृतिका नक्षत्र में 22:54 - 31:04 बजे तक
12 दिसंबर 2019 गुरुवार प्रतिपदा मृगशिरा नक्षत्र में 07:04 - 10:42 बजे तक
27 दिसंबर 2019 शुक्रवार प्रतिपदा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 17:30 - 31:13 बजे तक
28 दिसंबर 2019 शनिवार द्वितीया उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 07:13 - 18:43 बजे तक
30 दिसंबर 2019 सोमवार चतुर्थी धनिष्ठा नक्षत्र में 13:55 - 31:14 बजे तक
गृह प्रवेश मुहूर्त 2019 (पुराने घर में प्रवेश के लिए)
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
26 जनवरी 2019 शनिवार षष्ठी हस्ता नक्षत्र में 15:04 - 31:12 बजे तक
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 15:38 - 16:40 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 16:42 - 19:29 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:42 - 27:21 बजे तक
06 मई 2019 सोमवार द्वितीया कृतिका नक्षत्र में 16:36 - 19:36 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार द्वादशी हस्ता नक्षत्र में 05:42 - 20:20 बजे तक
18 मई 2019 शनिवार पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में 26:22 - 26:41 बजे तक
23 मई 2019 गुरुवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:27 - 23:48 बजे तक
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 15:21 - 28:04 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 22:15 बजे तक
03 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र में 15:32 - 26:48 बजे तक
10 जून 2019 सोमवार अष्टमी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 14:21 - 22:24 बजे तक
13 जून 2019 गुरुवार एकादशी चित्रा नक्षत्र में 11:51 - 27:37 बजे तक

गृह प्रवेश मुहूर्त गृह प्रवेश मुहूर्त हर व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काम होता है। घर को मकान, छत,आशियाना किसी भी नाम से पुकारिये, इस बड़ी दुनिया में यहीं एक ऐसी जगह होती है जिसे आप अपना कह सकते हैं। सिर पर अपनी छत हो तो आदमी को हौसला रहता है कि वह जीवन के हर संघर्ष का सामना कर सकता है। आज हर व्यक्ति को नौकरी मिलने के बाद दूसरी कवायद अपना घर खरीदने या बनाने की ही होती है। घर बन गया तो बाकी सपनों को भी जैसे पंख लग जाते हैं। इसलिए ही अपना घर अपने आप में एक उपलब्धि है। नया घर खरीदा जाए या बनवाया जाए, नए घर में शिफ्ट करने से पहले 'गृह प्रवेश पूजन' करवाया जाता है। माना जाता है, कि नए घर में आने से पहले पूजा-अर्चना, हवन आदि करवाने से उस घर में पहले से मौज़ूद किसी भी तरह की नकारात्मकता, और बुरी ऊर्जा दूर चलीं जातीं हैं जिससे घर में शुभता और सम्पन्नता आती है। वैसे भी किसी भी घर में चाहे वह अपना हो या किराए का, एक बार यज्ञ-हवन आदि करवाने की सलाह बड़े-बुज़ुर्ग और ज्ञानीजन हमेशा देते आये हैं। घर में कई प्रकार के वस्तु- पुरुष होते हैं, जो घर के अलग-अलग स्थान को शुभ या अशुभ फल प्रदान करने के उत्तरदायी माने जाते हैं। ऐसे में घर का पूजन करके घर में प्रवेश करना उनके शुभ आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए भी बहुत जरुरी होता है। साथ ही नया घर हर तरह से परिवार के सदस्यों के अनुकूल हो इसके लिए गृहप्रवेश पूजन करवाना अनिवार्य हो जाता है।

गृहप्रवेश मुहूर्त की महत्ता

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले तिथि, वार, ग्रह, नक्षत्र आदि के आधार पर, विचारकर शुभ समय निकाला जाता है, जो शुभ मुहूर्त कहलाता है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त निकालकर, उस विशेष दिन और विशेष समय पर कोई शुभ काम करने से उसके सफल होने की और उस अवसर का अधिकाधिक लाभ मिलने की संभावना भी अपेक्षाकृत बढ़ जाती है। इसलिए शुभ मुहूर्त निकालकर ही शुभ काम करना चाहिए। गृहप्रवेश भी एक शुभ और बड़ा काम है, इसलिए गृहप्रवेश भी मुहूर्त निकलवाकर ही किया जाना चाहिए।

गृहप्रवेश मुहूर्त के ज्योतिषीय आयाम

नए घर में प्रवेश करना बहुत-से लोगों के लिए एक सपने के सच होने के समान होता है। नए घर में, नए परिवेश में जहाँ मन में उमंग और उत्साह होता है, वहीं नयी जगह का नयापन सबको फलीभूत होगा या नहीं, ये भी एक बड़ा प्रश्न होता है। हर घर की अपनी एक ऊर्जा होती है। गृहप्रवेश पूजन, घर की ऊर्जा को सकारात्मक और शुभ फल देने योग्य बनाता है। घर हर तरीके से परिवार के सदस्यों के लिए शुभ हो, घर में शांति और सुख बना रहे, इसके लिए पूजन जरूर करवाना चाहिए।

शास्त्रों में घर बनाने से पहले भूमि पूजन और घर बनने या खरीदने के बाद उसमें प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश संस्कार करने का प्रावधान बताया गया है। नया दफ़्तर हो, नया घर हो या नयी दुकान, गृह प्रवेश पूजन का यह नियम सभी के लिए उपयोगी और सार्थक है।

गृह प्रवेश की प्रचलित मान्यता: एक मान्यता के अनुसार वैशाख यानी अप्रैल- मई के महीने में गृह प्रवेश करने से घर में सुख-संपदा की कमी नहीं रहती। ज्येष्ठ यानी मई-जून के महीने में गृहप्रवेश करना पुत्र-पौत्र और पशुधन को बढ़ाने वाला होता है। माघ यानी जनवरी-फरवरी, फाल्गुन यानी फ़रवरी- मार्च, वैशाख यानी अप्रैल- मई और ज्येष्ठ यानी मई-जून का समय गृहप्रवेश करने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है।

गृहप्रवेश मुहूर्त की गणना करते वक़्त ध्यान रखें ये बातें

नए घर में प्रवेश करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखने से आप नयी जगह पर कई परेशानियों से बच सकते हैं। इसलिए गृहप्रवेश मुहूर्त निकालते वक़्त इन बातों का ध्यान जरूर रखें:-

  • मलमास और आषाढ़ (जून-जुलाई ), श्रावण (जुलाई-अगस्त), भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर), आश्विन(सितम्बर-अक्टूबर), पौष (दिसंबर-जनवरी) के महीनों में गृहप्रवेश नहीं करना चाहिए।
  • गृहप्रवेश मंगलवार को करना शुभ नहीं माना जाता। कुछ विशेष स्थितियों में शनिवार और रविवार को भी गृहप्रवेश करना मना किया जाता है।
  • गृहप्रवेश से पहले घर का वास्तु किसी योग्य वास्तु-विशेषज्ञ से जरूर चेक करवाना चाहिए, ऐसा करने से यदि कोई दोष होता है तो उसे समय रहते सुधारा जा सकता है।
  • मकान अपना हो या किराए का उसमें जाने से पहले गृहप्रवेश पूजन जरूर करें, अन्यथा घर में वास्तुदोष लग जाता है। जो आपके और घर के अन्य सदस्यों के जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। इसलिए इन सभी परेशानियों से बचने के लिए गृहपूजन करवाना ही बेहतर है।
  • गृहप्रवेश वाले दिन, भगवान श्रीगणेश की मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख और श्रीयंत्र को घर में सबसे पहले लेकर जाना चाहिए।
  • नए घर में पुरुष अपने दाएं पैर को बढ़ाकर और स्त्री बाएं पैर को बढ़ाकर घर में प्रवेश करें।
  • नयी रसोई में पहले दिन गुड़ और हरी सब्ज़ियां रखना शुभ और सुख-संपत्ति बढ़ाने वाला माना जाता है।
  • गृहप्रवेश से पहले चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रा आदि का विचार करना भी शुभ होता है।
  • पानी-बिजली आदि जरुरी और आधारभूत चीजों को गृहप्रवेश से पहले ही भलीभांति जाँच लें, ताकि बाद में कोई परेशानी न हो।
  • कोशिश करें कि गृहप्रवेश के दिन आपके घर-परिवार के लोग ही पूजन में उपस्थित हों, बाकी संबंधियों को किसी और दिन आमंत्रित करना आपके लिए सुविधाजनक रहेगा।
  • ­अपने कुलदेवता/ कुलदेवी, ईश्वर और बड़े-बुज़ुर्गों का यथोचित आदर-सत्कार कर उनका आशीर्वाद पाएं, साथ ही छोटे बच्चों का भी ख़ास ख्याल रखें। हँसी-ख़ुशी भरे माहौल में गृहप्रवेश या कोई भी अन्य शुभ काम करने से उस काम की सफलता और रौनक दोनों ही बढ़ जाती हैं।
  • पुरानी, टूटी चीजें जैसे बर्तन, चारपाई, खाट या पलंग, शीशा, कंघी, रुकी हुई घड़ी आदि को नए घर में लेकर बिलकुल न जाएँ, बल्कि आमतौर पर भी इन चीजों के टूटने पर या घड़ी के रूक जाने पर या तो उन्हें तुरंत ठीक करा लें या घर में ना रखें।

घर छोटा हो या बड़ा, आपका घर आपका छोटा-सा सुखी संसार है, उसमें प्रवेश करने के लिए शुभ मुहूर्त के साथ-साथ अगर आप कुछ बातों का भी ध्यान रखेंगे तो न केवल आप बहुत-सी परेशानियों से बचे रहेंगे, बल्कि आपके घर में सुख-शान्ति का भी वास होगा। इसलिए नए घर में प्रवेश के लिए, गृहपूजन शुभ समय के अनुसार योग्य और अनुभवी पंडित से जरूर करवाएं।

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