Author: Vijay Pathak | Last Updated: Mon 2 Sep 2024 3:39:18 PM
एस्ट्रोकैंप के इस विशेष लेख में हम आपको 2024 मुंडन संस्कार के माध्यम से मुंडन संस्कार की सभी तिथियों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। इस लेख में साल 2024 में पड़ने वाली मुंडन की शुभ तिथियों एवं मुहूर्त की सूची दी गई है। इसके अलावा, 2024 मुंडन संस्कार में मुंडन संस्कार से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें भी हम आपको बताएंगे जैसे कि मुंडन संस्कार क्यों किया जाता है, इसका महत्व और लाभ क्या है और मुंडन के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। मुंडन संस्कार से जुड़े सभी सवालों का जवाब पाने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
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हिंदू धर्म में शिशु के जन्म के बाद पहली बार उसके बाल उतारने को मुंडन संस्कार कहा जाता है। आमतौर पर यह संस्कार लड़कों के लिए 3, 5 या 7 की विषम आयु और लड़कियों के लिए 2,4 या6 आदि की सम आयु में किया जाता है। 2024 मुंडन संस्कार के अनुसार, शिशु के एक वर्ष के होने से पूर्व ही मुंडन संस्कार करवा लेना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मुंडन संस्कार में गर्भकाल के बाल उतारने से शिशु को अपने पूर्वजन्म के कर्मों से मुक्ति मिलती है। मान्यताओं के अनुसार, शिशु के जन्म के समय शिशु के सिर पर बाल होते हैं उन्हें अशुद्ध माना जाता है जिन्हें हटाना बेहद जरूरी होता है।
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हिंदू धर्म के 16 पवित्र संस्कारों में से एक मुंडन संस्कार हैं जिसे चौलकर्म और चूड़ाकर्म के नाम से भी जाना जाता है। यह 16 संस्कारों में आठवें अंक पर आता है और इस संस्कार के तहत शिशु के पहली बार बाल उतारे जाते हैं। मान्यता है कि मुंडन संस्कार से शिशु को सौभाग्य और असीम शांति की प्राप्ति होती है। शिशु के बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना के लिए हिंदू धर्म के आठवें संस्कार को 2024 मुंडन संस्कार के अनुसार ही करना चाहिए।
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27 मार्च |
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29 मई |
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मुंडन संस्कार की परंपरा वैदिक काल से प्रचलन में हैं और हिंदू धर्म को मानने वाले लोग इस अनुष्ठान को जरूर करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि एक आत्मा को 84 लाख योनियों के बाद मानव जीवन मिलता है और हर योनि का मानव जीवन पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में, मानव योनि में जन्म लेने के बाद शिशु के बाल उतारने से बच्चे को उसकी पूर्व योनियों और पुराने कर्मों से मुक्ति मिल जाती है और आत्मा का शुद्धिकरण होता है।
यह भी मान्यता है कि मुंडन संस्कार से शिशु की नसों और मस्तिष्क का विकास तेज़ी से होता है। हालांकि, बच्चे का मुंडन संस्कार हमेशा शुभ तिथियों पर ही किया जाना चाहिए। अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं मुंडन मुहूर्त के महत्व पर।
वैज्ञानिक दृष्टि से मुंडन संस्कार को देखें तो, जब शिशु के शरीर पर कपड़े और बाल न हों, तो वह धूप से विटामिन डी को जल्दी अवशोषित कर लेता है। डॉक्टर भी शिशु को प्रात: काल कुछ समय धूप में रखने की सलाह देते हैं। इसके अलावा, मुंडन संस्कार के विषय में विज्ञान कहता है कि जन्म के बाद शिशु के बाल उतारने से आगे चलकर घने और स्वस्थ बाल आते हैं। साथ ही, मुंडन करवाने से गर्मी के मौसम में शिशु का सिर भी ठंडा रहता है।
मुंडन संस्कार शिशु के एक वर्ष के होने पर करवाना चाहिए। लेकिन, यदि आप किसी कारणवश उस समय मुंडन संस्कार नहीं करवा पाते हैं, तो आप शिशु के तीसरे वर्ष में भी करवा सकते हैं। मान्यता है कि मुंडन संस्कार पर बच्चे का मानसिक विकास निर्भर करता है। जितना जल्दी यह अनुष्ठान किया जाता है, शिशु के लिए उतना ही अच्छा होता है। इस प्रकार, बच्चे के तीन साल के होने से पहले मुंडन सस्ंकार हो जाना चाहिए।
अगर हम बात करें मुंडन संस्कार से होने वाले फायदों की तो, शिशु के गर्भकाल के बालों को उसके पूर्वजन्म की नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। 2024 मुंडन संस्कार के अनुसार, शिशु को उसके पूर्व जन्मों से मुक्ति दिलवाने के लिए मुंडन किया जाता है। इस अनुष्ठान से बच्चे पर उसके पिछले जन्म की किसी नकारात्मकता का प्रभाव नहीं रह जाता है। मुंडन संस्कार न केवल शिशु को अशुभ प्रभावों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है बल्कि यह बच्चे में अच्छे संस्कार विकसित करने का भी कार्य करता है। परिवारी की रीति-रिवाज़ों के अनुसार कुछ लोग मुंडन संस्कार को धार्मिक स्थल पर भी संपन्न करवाते हैं।
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यदि आपके बच्चे का मुंडन संस्कार वर्ष 2024 में होना है, तो आप 2024 मुंडन संस्कार की सूची देख सकते हैं। मुंडन संस्कार हमेशा शुभ मुहूर्त और तिथि पर ही किया जाना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार, उत्तरायण माह के चैत्र, वैशाख, आषाढ़, माघ और फाल्गुन के महीनों में मुंडन संस्कार संपन्न कर सकते हैं। वहीं, ज्येष्ठ और आषाढ़ के माह में मुंडन संस्कार नहीं करना चाहिए। हालांकि, देवउठनी एकादशी से पूर्व बच्चे का मुंडन संस्कार किया जा सकता है।
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